अमेरिका ने कहा, आतंकी संगठनों को लेकर पाकिस्तान अपना रवैया बदले
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अमेरिका ने कहा, आतंकी संगठनों को लेकर पाकिस्तान अपना रवैया बदले

अमेरिकी अधिकारी ने ब्रिक्स की ओर से उत्तर कोरिया के हालिया परमाणु परीक्षण की निंदा करने का स्वागत किया और पाकिस्तान को दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सभी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए दोबारा याद दिलाया.

हालांकि पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों को पनाह देने के आरोपों को खारिज कर दिया है. (फाइल फोटो)

वॉशिंगटन: अमेरिका ने वैश्विक स्थिरता में लगातार सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए ब्रिक्स देशों की सराहना करते हुए पाकिस्तान को आतंकवाद को लेकर अपना रवया बदलने को कहा है. डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के शियामेन में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान पांचों देशों ने अफगानिस्तान में तत्काल हिंसा समाप्त करने की वकालत की. ऐसा पहली बार हुआ कि ब्रिक्स देशों ने क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के नाम घोषणापत्र में शामिल किए और इन पर लगाम लगाने पर भी चर्चा की. ब्रिक्स सम्मेलन के बारे में पूछे जाने पर स्टेट डिपार्टमेंट के एक प्रवक्ता ने बुधवार (6 सितंबर) को कहा, "हम वैश्विक शासन और स्थिरता में सकारात्मक रूप से योगदान देने के लिए ब्रिक्स सम्मेलन की सराहना करते हैं."

अमेरिकी अधिकारी ने ब्रिक्स की ओर से उत्तर कोरिया के हालिया परमाणु परीक्षण की निंदा करने का स्वागत किया और पाकिस्तान को दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सभी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए दोबारा याद दिलाया, इसमें वह क्षेत्र भी शामिल हैं, जिसे अमेरिका फेडरली एडमिनिस्टड्र ट्राइबल एरिया (एफएटीए) मानता है. डॉन न्यूज ने प्रवक्ता के हवाले से कहा, "जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं, पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर अपना रवैया बदले. हम पाकिस्तान सरकार को क्षेत्र में खतरा बने आतंकवादी संगठन पर निर्णायक कार्रवाई करने के लिए कहेंगे."

ब्रिक्स देशों ने अपने घोषणापत्र में अफगान तालिबान, इस्लामिक स्टेट समूह, अल-कायदा, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तहरीक-ए-तालिबान और हिजबुत तहरीर आतंकवादी संगठनों के नामों का उल्लेख किया था. पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है कि यह इन संगठनों को पनाह दे रहा है. 

ख्वाजा आसिफ की चेतावनी, 'शर्मिंदगी' से बचने के लिये पाकिस्तान का आतंकी समूहों पर लगाम लगाना जरूरी

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी है कि अगर लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों पर लगाम नहीं लगाई गई तो देश शर्मिंदगी का सामना करता रहेगा. आसिफ का बयान चीन समेत ब्रिक्स के पहली बार पाकिस्तान से संचालित हो रहे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधित संगठनों का नाम लिये जाने के दो दिन बाद आया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी समूहों के लिये 'पनाह' होने के लिये पाकिस्तान की आलोचना की थी. आसिफ ने पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा और जेईएम समेत अन्य प्रतिबंधित अंतरराष्ट्रीय आतंकवा​दी संगठनों के अस्तित्व को स्वीकार किया.

आसिफ ने मंगलवार (5 सितंबर) को जियो न्यूज से बातचीत में कहा, 'हमें अपने मित्रों से कहने की आवश्यकता है कि हमने अपना बर्ताव सुधार लिया है. हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का सामना करने से बचने के लिये अपने तौर-तरीके में सुधार करना है.' आसिफ का बयान चीनी नेतृत्व से मिलने के लिये अपनी बीजिंग यात्रा से कुछ दिन पहले आया है. आसिफ के अनुसार ब्रिक्स घोषणापत्र को चीन का आधिकारिक रुख नहीं समझा जाना चाहिये क्योंकि रूस, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी समूह का हिस्सा हैं.

श्यामन में ब्रिक्स घोषणा पत्र में लश्कर-ए-तैयबा और जेईएम को शामिल किया जाना पाकिस्तान के लिये झटका माना जा रहा है क्योंकि चीन ने पिछले साल गोवा में ब्रिक्स की बैठक में परिणामी दस्तावेज में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों का नाम लिये जाने के प्रयासों को अवरुद्ध किया था. हालांकि आसिफ ने कहा, 'मित्रों की हमेशा परीक्षा नहीं ली जानी चाहिये, खासतौर पर बदले हुए परिदृश्य में. इसकी बजाय हमें लश्कर और जैश जैसे तत्वों की गतिविधियों पर कुछ पाबंदी लगानी चाहिये ताकि हम विश्व समुदाय को दिखा सकें कि हमने अपनी व्यवस्था में सुधार किया है.' उन्होंने दोहराया कि पाकिस्तान को अपनी चीजें ठीक करनी चाहिए क्योंकि पूरी दुनिया हमारी तरफ ऊंगली उठा रही है.

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