ईरान के खिलाफ परमाणु कार्यक्रम आगे बढ़ाने के मिले थे सुबूत, छह माह में कारोबार समेटने की अमेरिका ने दी चेतावनी, आर्थिक प्रतिबंध थोपेंगे ट्रंप
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वॉशिगंटन : अमेरिका ने ईरान से तीन साल पहले हुआ एटमी डील तोड़ दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि वह ईरान पर फिर से आर्थिक प्रतिबंध लगाएंगे. ट्रंप के इस फैसले की यूरोपीय देशों ने आलोचना की है. इससे आशंका है कि मिडल ईस्ट में तनाव बढ़ेगा. साथ ही अमेरिका और यूरोपीय देशों में तालमेल बिगड़ेगा. सबसे बड़ा असर कच्चे तेल की आपूर्ति पर पड़ेगा. जानकारों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में वैसे ही आग लगी हुई है और अमेरिका के इस कदम से तेल की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित होगी. क्योंकि ईरान बड़े तेल उत्पादकों में से एक है. अगर उसने तेल आपूर्ति रोक दी तो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित भारत समेत कई दक्षिण एशियाई देश होंगे. यह करार पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में हुआ था. ट्रंप ने इसे खराब और सड़ा हुआ कहा. साथ ही इसकी बुनियाद पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि यह एकतरफा था जिसका पालन संभव नहीं था.
The Iran Deal is defective at its core. If we do nothing, we know what will happen. In just a short time, the world’s leading state sponsor of terror will be on the cusp of acquiring the world’s most dangerous weapons.... pic.twitter.com/58qwBLzxIH
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) May 8, 2018
2015 में हुई थी एटमी डील
2015 में ईरान के साथ इस एटमी डील पर यूएन के स्थायी सदस्य देश-अमेरिका, जर्मनी, यूरोपीय संघ और ईरान ने हस्ताक्षर किए थे. इस डील के बाद ईरान पर दशकों से लगे प्रतिबंध हटा लिए गए थे. ईरान ने वादा किया था कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे नहीं बढ़ाएगा. समझौता टूटने के बाद उस पर दोबारा प्रतिबंध लग सकता है. हालांकि अमेरिकी वित्त विभाग ने कहा कि ईरान पर तत्काल कोई प्रतिबंध नहीं लगेगा. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा, ‘ईरान की कंपनियों को 180 दिन में अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले को मानना होगा. यह समय सीमा ईरान के साथ व्यापार को समेटने के लिए दी गई है.'
रूहानी बोले-अन्य देशों के साथ एटमी डील बनी रहेगी
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ट्रंप के फैसले को एकतरफा बताया. उन्होंने कहा कि वह इस बारे में अपने सहयोगियों से चर्चा करेंगे. रूहानी ने कहा कि अमेरिका हमेशा अपने सिद्धांतों से डिग जाता है. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ट्रंप के फैसले को भटका हुआ बताया. उन्होंने कहा कि एक तरफ अमेरिका, उत्तर कोरिया से कूटनीति संबंध बनाने की शुरुआत कर रहा है और दूसरी तरफ ईरान समझौते से अलग हो रहा है. ट्रंप के इस फैसले पर समझौते में शामिल फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने भी खेद जताया है. वहीं, रूस के विदेश मंत्रालय ने इसे बहुत निराशाजनक बताया. हालांकि इजरायल और सऊदी अरब ने ट्रंप का समर्थन किया है.
"At the heart of the Iran deal was a giant fiction: that a murderous regime desired only a peaceful nuclear energy program. Today, we have definitive proof that this Iranian promise was a lie." pic.twitter.com/9m4VBjnHj7
— The White House (@WhiteHouse) May 8, 2018
ईरान पर लगे गंभीर आरोप
इजराइल को हजारों की संख्या में ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिनसे पता चला है कि ईरान समझौते के बाद भी परमाणु कार्यक्रमों में संलिप्त था. इन फाइलों में तमाम चीजें हैं, दस्तावेज, प्रेजेंटेशन, ब्लूप्रिंट, वीडियो और भी बहुत कुछ हैं जो ईरान के दोष को सिद्ध करते हैं.