अमेरिका ने एनएसजी में भारत की सदस्यता का समर्थन दोहराया, अन्य देशों से भी मांगा सहयोग
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अमेरिका ने एनएसजी में भारत की सदस्यता का समर्थन दोहराया, अन्य देशों से भी मांगा सहयोग

चीन एनएसजी में भारत की सदस्यता का लगातार यह कह कर विरोध करता आ रहा है कि भारत ने परमाणु अप्रसार समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.

चीन के विरोध ने भारत की एनएसजी तक पहुंच को कठिन बना दिया है. (फाइल फोटो)

वॉशिंगटन: अमेरिका ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के अपने समर्थन को दोहराया और कहा कि उसने समूह के अन्य सदस्य देशों से नयी दिल्ली की अर्जी को समर्थन देने को कहा है. भारत ने 48 सदस्यों वाले एनएसजी की सदस्यता के लिए अर्जी दी है. यह समूह अंतरराष्ट्रीय परमाणु सामग्री के व्यापार पर नियंत्रण रखता है. रक्षा और विदेश मंत्रालय ने अपनी एक साझा रिपोर्ट में कहा, ‘अमेरिका ने भारत के एनएसजी में शामिल होने संबंधी उसकी अर्जी का स्वागत किया है और वह पुन: पुष्टि करता है कि भारत इसकी सदस्यता के लिए तैयार है. अमेरिका ने एनएसजी के सदस्यों से भारत को समर्थन देने को कहा है.’

अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई इस रिपोर्ट में ट्रंप प्रशासन ने भारत के ऑस्ट्रेलिया ग्रुप और वासेनार अरेंजमेंट में सदस्यता का भी समर्थन देने की बात दोहराई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और अमेरिका जनसंहार के हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है. चीन एनएसजी में भारत की सदस्यता का लगातार यह कह कर विरोध करता आ रहा है कि भारत ने परमाणु अप्रसार समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. चीन के विरोध ने भारत की एनएसजी तक पहुंच को कठिन बना दिया है क्योंकि इसमें सदस्यता सभी सदस्य देशों की सहमति से ही मिलने का नियम है.

पिछले माह बर्न में एनएसजी की बैठक में भारत की सदस्यता के विषय पर चर्चा हुई थी, लेकिन इसमें कोई नतीजा नहीं निकला और इसमें नवंबर में बैठक कर इस मुद्दे पर कोई फैसला करने का निर्णय किया गया. हालांकि, भारत को अधिकतर सदस्य देशों का समर्थन है लेकिन चीन ने यह कह कर इसमें अड़ंगा लगा दिया है कि नए सदस्य को परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करना चाहिए.

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