अमेरिका में वीगर मूल के लोगों ने चीन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने चीन पर वीगर के नस्लीय सफाए का आरोप लगाया और शिनजियांग प्रांत की डेमोग्राफी बदलने का आरोप लगाया.
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वाशिंगटन/न्यूयॉर्क: अमेरिका में वीगर मूल के लोगों ने चीन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने चीन पर वीगरों के नस्लीय सफाए का आरोप लगाया और शिनजियांग प्रांत की डेमोग्राफी बदलने का आरोप लगाया. प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र संघ चीन पर पाबंदियां लगाए और इस मामले में हस्तक्षेप करे.
शिनजियांग पर चीनी क्रूरता के चार साल
बीते 29 अगस्त को शिनजियांग पर चीनी क्रूरता के चार साल पूरे हो गए. दरअसल इसी दिन चीन ने चेन कुआंगुओ (Chen Quanguo) को शिनजियांग भेजा था. चेन कुआंगुओ ने अपना पद संभालते ही वीगरों को सुधार गृह के नाम पर बड़े बड़े कैद खानों में भेजना शुरू कर दिया और उन्हें जबरन काम में ढकेल दिया गया. इसे चीन ने शैक्षिक सुधार करार देते हुए वीगरों का शोषण जारी रखा है.
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने क्या कहा?
संयुक्त राष्ट्र संघ के न्यूयॉर्क कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करते हुए वॉशिंगटन में रहने वाले सालिह हुदयार ने कहा कि चीन पर दबाव बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ और अमेरिका के साथ ही वैश्विक समुदाय को भी आगे आना होगा. तभी वीगरों को नरसंहार से बचाया जा सकेगा. सालिह हुदयार ईस्ट तुर्किस्तान नेशनल अवेकिंग मूवमेंट के अध्यक्ष भी हैं.
मेरे पूरे परिवार का पता नहीं: अजीज सुलेमान
वॉशिंगटन में प्रदर्शन करने वाले अजीज सुलेमान ने कहा कि उनके भाई अलीम सुलेमान, जीजा याहया कुरबान और चचेरे भाई एकराम यार मुहम्मद के साल 2016 में कैंप भेजने के नाम पर अगवा कर लिया गया. तब से उनका कुछ अता पता नहीं है. हम पूरी दुनिया को ये बताने आए हैं कि चीन हमारी ही धरती पर हमारे ऊपर अत्याचार कर रहा है और नरसंहार कर रहा है, जो संयुक्त राष्ट्र के कानून (UN Genocide Convention) के मुताबिक कानूनन भी गलत है. शिनजियांग में चीन नस्लीय तौर पर अल्पसंख्यक वीगरों का सफाया कर रहा है. इस मामले पर वैश्विक ताकतों को संज्ञान लेना चाहिए.
अमेरिका ने पिछले महीने लगाया है चेन कुआंगुओ समेत कई अधिकारियों पर प्रतिबंध
अमेरिका ने चेन कुआंगुओ और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) के दो वरिष्ठ पदाधिकारियों पर मानवाधिकारों के हनन (Human Rights Abuses) के मामले के कारण प्रतिबंध लगाए हैं, जिसके बाद से चीन और अमेरिका में तनातनी बढ़ गई है. चीन ने इसे अपने अंदरुनी मामले में दखल करार दिया है.
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