चीन और रूस के वीटो से संयुक्त राष्ट्र में पारित नहीं हुए वेनेजुएला संबंधी प्रस्ताव
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चीन और रूस के वीटो से संयुक्त राष्ट्र में पारित नहीं हुए वेनेजुएला संबंधी प्रस्ताव

इस प्रस्ताव को 15 सदस्यीय परिषद में नौ मत मिले जबकि मॉस्को और बीजिंग ने इसके खिलाफ वीटो का इस्तेमाल किया.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की फाइल फोटो.

संयुक्त राष्ट्र: रूस और चीन ने वेनेजुएला में मौजूदा संकट से निपटने संबंधी अमेरिका के प्रस्ताव के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो का इस्तेमाल किया जबकि परिषद में मॉस्को के प्रस्ताव को पर्याप्त वोट नहीं मिल पाए. अमेरिकी प्रस्ताव में वेनेजुएला में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराने और बिना किसी रुकावट के मानवीय मदद पहुंचाने की बात की गई थी. इस प्रस्ताव को 15 सदस्यीय परिषद में नौ मत मिले जबकि मॉस्को और बीजिंग ने इसके खिलाफ वीटो का इस्तेमाल किया.

परिषद में किसी भी प्रस्ताव को पारित करने के लिए कम से कम नौ मतों की आवश्यकता होती है. प्रस्ताव पारित करने के लिए यह आवश्यक है कि पांच स्थायी सदस्यों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका में से कोई वीटो का इस्तेमाल नहीं करे. रूस के मसौदा प्रस्ताव में ‘‘शांतिपूर्ण माध्यमों’’ से मामले को सुलझाने की अपील की गई थी. इसमें मादुरो की सरकार की सहमति से ही सभी मानवीय मदद दिए जाने पर बल दिया गया था. इस प्रस्ताव को केवल चार वोट मिले.

उल्लेखनीय है कि आर्थिक संकट से जूझ रहा वेनेजुएला उस समय बड़े राजनीतिक संकट में घिर गया था जब विपक्ष के नेता जुआन गुइदो ने जनवरी में स्वयं को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित किया था. अमेरिका ने गुइदो को समर्थन दिया है. उनके पास 50 से अधिक देशों का समर्थन है.

वेनेजुएला के लिए अमेरिका के दूत इलियट अब्राम्स ने अमेरिकी प्रस्ताव पर वीटो के इस्तेमाल को लेकर रूस और चीन की आलोचना की. उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि अमेरिका को परिषद में अधिकतर सदस्यों ने समर्थन दिया. दूसरी ओर, रूस के राजदूत वासिली नेबेंजिया ने अमेरिका के प्रस्ताव की आलोचना की.

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