बड़े पैमाने पर मास्क पहनने से रोकी जा सकती है COVID-19 की दूसरी वेव
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बड़े पैमाने पर मास्क पहनने से रोकी जा सकती है COVID-19 की दूसरी वेव

एक स्टडी के मुतबिकअगर लोग व्यापक रूप से फेस मास्क का उपयोग करें तो COVID-19 के प्रसार को नियंत्रित करने योग्य स्तर तक लाया जा सकता है और महामारी की दूसरी लहर को रोका जा सकता है.

जितना फेस मास्क का इस्तेमाल ज्यादा , उतना संक्रमण का खतरा कम

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) की दवा तो अभी तक नहीं मिली है, लेकिन इससे बचने के लिए सबसे कारगर उपायों में से एक है फेस मास्क (Face Mask). फेस मास्क से जुड़े एक अध्ययन से ऐसी जानकारी मिली है जो शायद लोगों में मास्क के उपयोग की गंभीरता बढ़ा सकती है.

  1. यूके की एक स्टडी ने फेस मास्क पर किया शोध 
  2. व्यापक रूप से फेस मास्क के उपयोग से COVID-19 के प्रसार को नियंत्रित किया जा सकता है
  3. महामारी की दूसरी लहर को रोका जा सकता है

बुधवार को प्रकाशित यूके की एक स्टडी के मुतबिक अगर लोग व्यापक रूप से फेस मास्क का उपयोग करें तो COVID-19 के प्रसार को नियंत्रित करने योग्य स्तर तक लाया जा सकता है और महामारी की दूसरी लहर को रोका जा सकता है. ब्रिटेन के केंब्रिज और ग्रीनविच यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध से पता चलता है कि लॉकडाउन अकेले CoV-2 कोरोना वायरस के दोबारा प्रसार को नहीं रोक सकता, लेकिन अगर ज्यादा से ज्यादा लोग सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनें तो घर के ही बने मास्क संक्रमण दर को रोकने में चमत्कारिक रूप से असरदार होते हैं. 

केंब्रिज के अध्ययन का सह नेतृत्व करने वाले रिचर्ड स्टट का कहना है कि- 'हमारे विश्लेषण इस बात का समर्थन करते हैं कि जनता तत्काल और बड़ी संख्या में फेस मास्क को अपनाए. '

उन्होंने कहा कि शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि कोविड-19 की वैक्‍सीन बनने और लोगों के लिए उपलब्ध होने के पहले, सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन उपायों के साथ व्यापक रूप से मास्क का उपयोग, महामारी रोकने और आर्थिक गतिविधियों को दोबारा खोलने के प्रबंधन का सबे स्वीकार्य तरीका हो सकता है.

इस अध्ययन के निष्कर्ष वैज्ञानिक पत्रिका 'Proceedings of the Royal Society A' में प्रकाशित हुए थे.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शुक्रवार को सरकारों को ये सुझाव दिया कि ऐसे सार्वजनिक क्षेत्र जहां बीमारी की रोकथाम मुश्किल है वहां हर किसी को फैब्रिक फेस मास्क पहनने के लिए कहा जाए. 

इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने लोगों में प्रसार की गति को जनसंख्या-स्तर के मॉडल से जोड़ा जिससे लॉकडाउन की अवधि में मास्क पहनने के अलग अलग परिदृश्यों का बीमारी के प्रजनन दर (R value) पर पड़ने वाले  प्रभाव का आकलन किया सके. 

R value उन लोगों की औसत संख्या है जिन्हें एक संक्रमित व्यक्ति बीमारी पास करता है. अगर R value 1 से ज्यादा है तो ये  घातीय वृद्धि का कारण बन सकती है.

अध्ययन में पाया गया कि यदि लोग सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनते हैं, तो लक्षण दिखाई देने के बाद ही मास्क पहनने की तुलना में ये R value को कम करने में दोगुना प्रभावी होता है. 

सभी परिदृश्यों में अध्ययन में देखा गया है कि, यदि 50% आबादी या उससे ज्यादा लोग नियमित रूप से फेस मास्क का उपयोग करें तो COVID-19 के प्रसार की R value को 1.0 से कम किया जा सकता है, भविष्य में आने वाली वेव और लॉकडाउन की कड़े प्रतिबंधों को कम किया जा सकता है.

अध्ययन के सह-नेतृत्व करने वाली रेनाटा रिटक्यूट ने कहा-'फेस मास्क को व्यापक रूप से अपनाने में कोई नुक्सान तो है नहीं लेकिन इससे फायदा बहुत हो सकता है.'

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