गोरे लोगों में कैंसर होने का खतरा ज्यादा, नई रिसर्च में आए डराने वाले नतीजे
Advertisement
trendingNow11115036

गोरे लोगों में कैंसर होने का खतरा ज्यादा, नई रिसर्च में आए डराने वाले नतीजे

कैंसर पर रिसर्च करने वाली संस्‍था कैंसर रिसर्च यूके (Cancer Research UK) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि अश्‍वेत और एश‍ियाई लोगों में कैंसर (Cancer) होने का खतरा कम है. वहीं, गोरे लोगों में कैंसर का खतरा ज्‍यादा है.

Photo- Reuters

नई दिल्ली: कैंसर एक खतरनाक बीमारी है. यह बीमारी जिसे हो जाए उसका बचना बहुत ही मुश्किल होता है. लेकिन हाल ही में एक नई रिसर्च सामने आई है जिसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. कैंसर पर रिसर्च करने वाली संस्‍था कैंसर रिसर्च यूके (Cancer Research UK) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि अश्‍वेत और एश‍ियाई लोगों में कैंसर (Cancer) होने का खतरा कम है. वहीं, गोरे लोगों में कैंसर का खतरा ज्‍यादा है.

  1. कैंसर को लेकर रिसर्च में बड़ा खुलासा
  2. गोरे लोगों में कैंसर का खतरा ज्यादा
  3. अश्‍वेत लोगों में कैंसर का खतरा कम

चौंकाते हैं रिसर्च के नतीजे

रिसर्चर्स का कहना है कि इंग्‍लैंड (England) में 2013 से लेकर 2017 के बीच सामने आए कैंसर के मामलों के आधार यह रिसर्च की गई और नतीजे जारी किए गए. इस रिसर्च में सामने आया कि गोरों के मुकाबले, कैंसर का खतरा एश‍ियाई लोगों में 38 फीसदी और अश्‍वेत में 4 फीसदी तक कम होता है. वहीं, मिश्र‍ित लोगों में यह खतरा 40 फीसदी तक कम रहता है. 

UK में कैंसर बढ़ती समस्या

BBC में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक गोरे लोगों के मुकाबले अश्‍वेत और एशियाई लोगों में कैंसर को लेकर असमानताएं हैं. रिसर्चर कैटरीना ब्राउन का कहना है, ऐसे लोगों में कैंसर का रिस्‍क अलग-अलग कारणों से होता है, जैसे-  इंसान की उम्र और उसे पेरेंट्स से मिले जीन्‍स. उन्होंने कहा कि UK में कैंसर के 40 फीसदी मामलों को लाइफस्‍टाइल में बदलाव करके रोका जा सकता है.

यह भी पढ़ें: वाराणसी में पीएम मोदी का मेगा रोड शो, आखिरी चरण के लिए फूंका बिगुल

और रिसर्च की जरूरत...

ब्र‍िटिश जर्नल ऑफ कैंसर में छपी रिसर्च बताती है, यूके में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. इस पर और रिसर्च किए जाने की जरूरत है. रिसर्च के जरिए यह समझा जाएगा कि कैसे अलग-अलग समूह के लोगों में कैंसर विकसित होता है.

नशे से दूर रहने की सलाह

आपको बता दें कि रिसर्चर्स ने इस बात पर भी जोर दिया है कि कैंसर को रोकने के लिए स्‍मोकिंग से दूरी, वजन को कंट्रोल में रखना और समय से जांच का होना जरूरी है. ऐसा करके कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं.

इसलिए गोरों में कैंसर का खतरा ज्‍यादा

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, गोरे लोगों में स्‍क‍िन कैंसर का खतरा ज्‍यादा होता है. इन लोगों में सूरज की तेज किरणों के कारण स्किन को डैमेज अध‍िक होता है. हालांकि इससे पहले हुई रिसर्च में यह सामने आया था कि गोरे लोगों के मुकाबले अश्‍वेत लोगों में प्रोस्‍टेट कैंसर का खतरा अध‍िक होता है.

यह भी पढ़ें: पीली साड़ी वाली मैडम ने देवरिया में डाला वोट, सेल्फी लेने वालों की लगी लाइन

अश्‍वेत लोगों में इसलिए खतरा कम

रिसर्चर्स का कहना है, अश्‍वेत और एश‍ियाई कम्‍युनिटी वाले लोगों में कैंसर के मामले ज्यादा न होने का एक बड़ा कारण है स्‍मोकिंग के लेवल कम होना. यही वजह है कि गोरे लोगों के मुकाबले अश्‍वेत में बॉवेल, ब्रेस्‍ट और फेफड़ों के कैंसर का खतरा कम है.

LIVE TV

Trending news