ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने इंस्टाग्राम पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनके इस्तीफे का तरीका लोगों को हैरान कर रहा है.
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नई दिल्ली: ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने गैरपरंपरागत तरीके से इंस्टाग्राम पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. जवाद जरीफ के अचानक हुए इस्तीफे की पुष्टि ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इरना ने की है. फिलहाल उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया गया है. जरीफ का इस्तीफा दो वजहों से खासा चर्चा में है. एक तो जरीफ वही ईरानी नेता हैं जिसने 2015 में हुए अमेरिका के साथ परमाणु समझौते पर अहम भूमिका निभाई थी. दूसरा उनके इस्तीफा देने के तरीके ने सबका ध्यान खींचा है.
यह अहमियत है जवाद जरीफ की
जवाद जरीफ ईरान की राजनीति, खासकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण नाम है. 59 साल के ज़रीफ़ संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत भी रहे और साल 2013 में हसन रूहानी के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद विदेश मंत्री बने थे. जरीफ ने अपने बयान में इस्तीफे की वजह नहीं बताई, लेकिन ईरान के लोगों और प्रशासन का शुक्रिया जरूर अदा किया है.
कौन हैं मोहम्मद जवाद जरीफ
एक अमीर घराने में पैदा हुए जवाद जरीफ के पिता ईरान के बड़े व्यवसायी रहे हैं. 17 साल की उम्र में वे अमेरिका चले गए जहां उन्होंने कैलीफोर्निया के सैन फ्रांसिसको के ड्रयू कॉलेज प्रिपेटरी स्कूल में पढ़ाई की और फिर इंटरनेशनल रिलेशन्स में सैनफ्रांसिको स्टेट यूनिवर्सिटी से बीए और एमए की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने यूनिर्सीटी ऑफ डेनवर के जोसेफ कोर्बेल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से इंटरनेशनल रिलेशन्स लॉ एंड पॉलिस में पीएचडी पूरी की. इसी दौरान वे उन्हें संयुक्त राष्ट्र में ईरानी प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया गया क्योंकि वे बेहतरीन अंग्रेजी बोल सकते थे.
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अपने अंतरराष्ट्रीय मामले के ज्ञान के कारण वे ईरान की कई यूनिवर्सिटी में विदेशी मामले के प्रमुख रहे. 2002 से 2007 तक वे संयुक्त राष्ट्र में ईरान के प्रतिनिधि रहे. इसके बाद 2008 में उन्होंने दावा किया कि अमेरिका ईरान की सरकार को गिराने की साजिश कर रहा है. इसके बाद वे 2013 में राष्ट्रपति हसन रूहानी के लिए वे ईरान के विदेश मंत्री पद के लिए पहली पसंद थे.
इस वजह से मांगी माफी
उनका अचानक इंस्टाग्राम पर इस्तीफा देना लोगों को चौंका रहा है लेकिन यह जानकरों का कहना है कि ऐसा अचानक ही नहीं हुआ है. उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, "मैं अपने पद पर आगे नहीं बने रहने और अपने कार्यकाल के दौरान हुई गलतियों के लिए माफ़ी मांगता हूँ." ये कोई बहुत हैरानी की बात नहीं है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान हुई गलतियों की माफी मांगी. दरअसल अमरीका के ईरान के साथ परमाणु समझौता रद्द किए जाने के बाद से जरीफ ईरान के कट्टरपंथियों के निशाने पर थे. समझौते के तहत ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करना पड़ा था. इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से यह समझौता रद्द हो गया और अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए. इससे जरीफ की छवि और ज्यादा खराब हो गई. माना जा रहा है कि जिस गलती के लिए उन्होंने माफी मांगी है वह 2015 का परमाणु समझौता ही है.
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केवल जरीफ की ही नहीं हो रही है आलोचना
दरअसल ईरान में अमेरिका से परमाणु समझौते करने को लेकर केवल जवाद जरीफ की ही आलोचना नहीं हो रही है. इसके अलावा राष्ट्रपति हुसैन रूहानी और अन्य अधिकारी भी आलोचकों के निशाने पर हैं जिन्होंने यह समझौता किया था और उसकी हिमायत की थी. रूहानी अमेरिका से चल रहे तनाव के कारण धार्मिक नेता, कट्टरपंथी ताकतें और असंतुष्ट जनता का भी गुस्सा झेलना पड़ रहा है.
ईरान पहले से ही घोर आर्थिक संकट से गुजर रहा है जिसका देश पर गहरा असर पड़ा है और देश भर में रूहानी को विरोध का सामना करना पड़ रहा है. उनको हटाने की मांग तेज हो गई है. हालांकि जब 2015 में यह परमाणु समझौते के बाद देश में राष्ट्रपति रूहानी को तारीफ और समर्थन दोनों मिला था.
(इनपुट रायटर्स से भी)