SARS-CoV-2 को लेकर वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि आखिर क्यों इस वायरस का संक्रमण मुख्य रूप से वयस्कों में तेजी से फैलता है और बच्चे अमूनन इसका शिकार होने से बच जाते हैं.
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नई दिल्लीः कोरोना वायरस की मार से इन दिनों हर कोई परेशान है. दुनियाभर में कहर बरपा रहा कोरोना वायरस पहले से अधिक घातक होता जा रहा है. अब कोविड-19 की चपेट में बड़े-बूड़े और वयस्क हर उम्र वर्ग के लोग आ रहे हैं. हालांकि, इस बीच वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया है कि आखिरकार इस वायरस का संक्रमण मुख्य रूप से एडल्ट, वृद्ध लोगों में ही क्यों हो रहा है और बच्चे किस तरह इसका शिकार होने से बच जाते हैं.
रिसेप्टर प्रोटीन की थ्योरी
बच्चों में रिसेप्टर प्रोटीन का स्तर कम होता है जिसके जरिए कोरोना वायरस फेफड़ों में मौजूद कोशिकाओं को प्रभावित करता है. इसलिए बड़ों और बुजुर्गों की तुलना में बच्चे आसानी से इस खतरनाक वायरस का शिकार होने से बच जाते हैं.
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इस तरह हमला करता है कोरोना का वायरस
रिसेप्टर प्रोटीन को लेकर वैज्ञानिकों का नया शोध एक साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ. VUMC के शोध में वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने समझाया कि कोरोनो वायरस युक्त एक कण फेफड़ों में जाने के बाद, प्रोटीन 'स्पाइक्स' ACE2 से जुड़ जाता है, जो फेफड़ों की कुछ कोशिकाओं की सतह पर मौजूद प्रोटीन सेल को तोड़ देता है. इस तरह कोरोना वायरस उस मानव शरीर के अंदर अपना प्रसार फैलाता है और धीरे-धीरे यह जानलेवा वायरस पूरे शरीर पर कब्जा कर लेता है.
कोशिकाओं से अटैच होता है SARS-CoV-2
शोध को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के वैज्ञानिक ने बताया कि किस तरह कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) शरीर के अंदर कोशिकाओं से अटैच होता है, इसके बाद वायरस कोशिकाओं पर अटैक करने में कामयाब हो जाता है. कोशिकाओं में वायरस का जेनेटिक मटीरियल रिलीज होने के बाद वायरस की संख्या बढ़नी शुरू हो जाती है. वैज्ञानिकों ने बताया कि 'हमने हमेशा ही अपना शोध फेफड़ों के विकास को समझने पर केंद्रित किया है. शोध में ये जानने की कोशिश की है कि कोविड-19 की चपेट में आने के बाद वो आखिर किस तरह वयस्कों को आसानी से अपना शिकार बना देता है.
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