Chandrayaan 3 की कामयाबी से क्यों खुश हैं एलन मस्क, अंतरिक्ष में इस बड़े प्रोजेक्ट में लगे हैं टेस्ला CEO
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Chandrayaan 3 की कामयाबी से क्यों खुश हैं एलन मस्क, अंतरिक्ष में इस बड़े प्रोजेक्ट में लगे हैं टेस्ला CEO

Chandrayaan-3 Successful Landing: चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर अंतिरक्ष यान उतारने वाला भारत पहला देश बन गया है. दुनिया भर से भारत को बधाई संदेश मिल रहे हैं. करोड़पति एलन मस्क भी इस भारत की इस कामयाबी के मुरीद बन गए हैं.

Chandrayaan 3 की कामयाबी से क्यों खुश हैं एलन मस्क, अंतरिक्ष में इस बड़े प्रोजेक्ट में लगे हैं टेस्ला CEO

Chandrayaan-3 Landing: भारत ने बुधवार को अंतरिक्ष बड़ी छलांग लगाई जब चंद्रयान 3 चांद के दक्षिण ध्रुव पर उतरने में सफल रहा. चंद्रमा के इस हिस्से पर उतरने वाला भारत पहला देश बन गया है. दुनिया भर से भारत को बधाई संदेश मिल रहे हैं. करोड़पति एलन मस्क भी इस भारत की इस कामयाबी के मुरीद बन गए हैं.

मस्‍क ने एक ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया दी जिसमें कहा गया है कि भारत ने इंटरस्‍टेलर फिल्‍म से भी कम बजट में चांद पर अपना यान पहुंचाया है. न्यूजथिंक (Newsthink) ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, 'जब आपको पता चलता है कि चंद्रयान-3 के लिए भारत का बजट ($75M) फिल्म इंटरस्टेलर ($165M) से कम है तो आप क्रेजी हो जाएंगे.' इस पर टेस्ला के चीफ मस्क ने जवाब में कहा, 'ये भारत के लिए अच्छा है.'

मंगल ग्रह पर मानव बस्तियां बसना चाहते हैं मस्क
वैसे मस्क अंतरिक्ष में काफी दिलचस्पी रखते हैं लेकिन उनकी रूचि विशुद्ध व्यापारिक कारणों से हैं. वह मंगल ग्रह पर इंसानों का शहर बसाने का महत्‍वाकांक्षी योजना बना रहे हैं. उनके मुताबिक धरती पर बढ़ते खतरों के बीच धरती के बाहर किसी और ग्रह पर जीवन की शुरुआत करनी होगी.

मस्क ने सबसे पहले 2026 में मंगल ग्रह के लिए कदम बढ़ाने का ऐलान किया था लेकिन अब उनका कहना है कि 2029 तक मानव मंगल ग्रह पर कदम रखने में सफल हो जाएगा और 2050 तक वहां इंसानी बस्तियां स्थापित कर दी जाएंगी. अपने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए मस्क स्‍टारशिप रॉकेट पर काम कर रहे हैं लेकिन इसमें उन्हें अभी तक अधिक सफलता नहीं मिल पाई है. उनका कहना है कि मंगल ग्रह पर जिंदा रहने और बस्‍ती बसाने के लिए 1000 स्‍टारशिप रॉकेट और 10 लाख टन विटामिन सी की जरूरत होगी.

मस्क का एक और प्रोजेक्ट 
मस्क अंतरिक्ष में एक और महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम कर रेह हैं. वह अंतरिक्ष की निचली कक्षा में 42 हजार स्‍टारलिंक सैटलाइट लॉन्‍च कर रहे हैं. उनका मकसद इसके जरिए पूरी दुनिया में इंटरनेट देना चाहते हैं.

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