Global health crisis: कुछ महीने पहले ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) पर साइबर अटैक हुआ था. जिससे दो महीने तक सभी स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई थीं. मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री चुरा ली गई थी, जिससे इलाज मिलना मुश्किल हो गया था. इसी तरह 2017 में दुनिया के करीब 150 देशों के हेल्थ सिस्टम को निशाना बनाया गया था.
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AIIMS Cyber Attack: माना जा रहा है कि भारत के सबसे बड़े हॉस्पिटल AIIMS पर हुए एक बड़े साइबर अटैक भारत की मेडिकल सेवाओं को ठप करने के मकसद से किया गया था. एम्स पर हुए साइबर अटैक की वजह से पूरे अस्पताल का कामकाज ठप हो गया है. इस साजिश को लेकर देश की सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हो गई हैं.
इस साइबर हमले में साइबर अपराधी किस तरह का डेटा चुराकर ले गए हैं, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. एक आशंका के मुताबिक AIIMS जैसे अस्पताल में साइबर अटैक हुआ है, तो इसमें साइबर आपराधियों को मरीजों का मेडिकल संबंधी डेटा मिला होगा. इन मरीजों में आम नागरिक, नेता, अभिनेता और कई महत्वपूर्ण लोगों की जानकारी होगी.
निशाने पर हेल्थ सर्विस
मान लेते हैं कि अगर यहां किसी ऐसे व्यक्ति का मेडिकल डेटा मौजूद है, जो देश के लिए महत्वपूर्ण है तो ऐसी स्थिति में इस मेडिकल डेटा का गलत इस्तेमाल हो सकता है. जैसे किसी व्यक्ति को अगर किसी खास चीज से एलर्जी है, तो इस डेटा की मदद से उसे किसी ना किसी बहाने से वो चीज खिलाई जा सकती है. इसी तरह से अगर किसी व्यक्ति को खास जीवन रक्षक दवा खानी होती है तो मुमकिन है कि उसको नकली दवा खिला दी जाए. ऐसे में आपकी मेडिकल कंडीशन से जुड़ी कोई भी संवेदनशील जानकारी साइबर अपराधियों के पास होना खतरनाक है.
RANSOMWARE
AIIMS पर हुए साइबर अटैक को Ransomware कहा जा रहा है. आमतौर पर देखा गया है कि जब भी कोई Ransomware अटैक होता है, तो ये किसी कॉरपोरेट संस्थान या फिर संवेदनशील जानकारी वाली सरकारी वेबसाइट होता है. इस जानकारी के बदले साइबर अपराधी बहुत बड़ी फिरौती मांगते हैं. किसी अस्पताल में हुआ साइबर हमला, किसी डेटा के बदले फिरौती मांगने के मकसद से किया जा सकता है. हालांकि माना जा रहा है कि ये साइबर हमला किसी देश ने जानबूझकर भारत के सबसे बड़े अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित करने के मकसद से किया है ताकि देश में अफरातफरी का माहौल बन जाए.
खतरे में जान
देश की मेडिकल सेवाओं के ठप होने जाने से कई मरीजों की जान खतरे में आ जाती है. मेडिकल डेटा ना मिलने से मरीजों के जरूरी ऑपरेशन रुक गए, जिन मरीजों को डॉक्टर से मिलना था या जिन्हें अपनी जांच रिपोर्ट दिखानी, ये सारे अपाइंटमेंट रद्द कर दिए गए. सोचिए अगर ऐसे ही हालात एक साथ देश के सभी बड़े अस्पतालों में हो जाएं, तो मरीजों का क्या हाल होगा.
खतरनाक ट्रेंड
कुछ सालों में कई देशों की स्वास्थ्य सेवाओं को निशाना बनाया गया है. 2021 में पूरी दुनिया के 66% स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले संस्थानों पर साइबर हमले हुए. इसमें से करीब 60 फीसदी मामलों में स्वास्थ्य संस्थानों को डेटा वापस लेने के लिए फिरौती देनी पड़ी. 90 फीसदी स्वास्थ्य संस्थानों ने माना था कि साइबर अटैक से उन्हें नुकसान हुआ है और सेवाएं प्रभावित हुई हैं. स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले अस्पताल या क्लीनिक अपने डेटा को जल्दी से जल्दी वापस चाहते हैं, इसलिए इस तरह के हमले बढ़ गए हैं.
यूरोप पर खतरा
इसी साल 4 अगस्त को ब्रिटेन के National Health Service पर भी Ransomware अटैक हुआ था. जिसके बाद वो लगभग 2 महीने तक प्रभावित रहा. मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री चुरा ली गई थी, जिससे उन्हें इलाज मिलना मुश्किल हो गया था. NHS पर 2017 में भी साइबर हमला हुआ था. जो कुछ ही हफ्तों में दुनिया के 150 देशों के हेल्थ सिस्टम में फैल गया था. तब Wannacry Ransomware ने दुनियाभर के लाखों कंप्यूटर्स को बेकार कर दिया था. इसे स्वास्थ्य सेवाओं पर हुआ, इतिहास का सबसे बड़ा साइबर हमला कहा जाता है. पिछसे साल आयरलैंड के सरकारी स्वास्थ्य सिस्टम पर भी एक साइबर अटैक हुआ था, जिसने पूरे सिस्टम को ठप कर दिया था.
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