Panchang: शनिदेव को कैसे करें प्रसन्न? कर्मों के हिसाब से देते हैं फल, जानें पंचांग और शुभ मुहूर्त

Aaj Ka Panchang: शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित माना गया है. शनि को न्याय देवता कहा जाता है. व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल शनिदेव देते हैं. आपको पंचांग में आज का शुभ मुहूर्त और राहु काल बताते हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 20, 2022, 06:24 AM IST
  • शनिदेव को समर्पित है शनिवार
  • जानिए आज का शुभ मुहूर्त
Panchang: शनिदेव को कैसे करें प्रसन्न? कर्मों के हिसाब से देते हैं फल, जानें पंचांग और शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली: Aaj Ka Panchang: आज शनिवार है. शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित माना गया है. शनि को न्याय देवता कहा जाता है. व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल शनिदेव देते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, शनिदेव जब किसी व्यक्ति पर मेहरबान होते हैं तो उसका जीवन बदल जाता है. वो आर्थिक, शारीरिक व मानसिक तीनों रूप से समृद्ध होता है.  

हनुमान जी की पूजा से प्रसन्न होते हैं शनिदेव

शनिवार के दिन सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ में दीपक जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. कहते हैं कि ऐसा करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है. शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं.

ज्योतिष और धर्म के नजरिए से भगवान शनिदेव की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि भगवान शनिदेव व्यक्ति को कर्मों के अनुसार ही व्यक्ति को फल प्रदान करते हैं. शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि जयंती का दिन बहुत ही विशेष माना गया है.
 
जिन जातकों के जीवन में अगर शनि संबंधी कोई दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रकोप चल रहा है तो उनके लिए इस शनि जयंती पर पूजा आराधना करना विशेष लाभ देने वाला साबित होगा. शनि जयंती पर शनि देव की पूजा-आराधना,दान-पुण्य और जप करने से सभी तरह का समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है.

आज का पंचांग

भाद्रपद - कृष्ण पक्ष - नवमी तिथि - शनिवार
नक्षत्र - रोहिणी नक्षत्र
महत्वपूर्ण योग- व्याघात योग
चन्द्रमा का वृषभ राशि पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्त- 05.53 से रात्रि तक
राहु काल- 09.19 बजे से 10.54 बजे तक
त्योहार- रोहिणी व्रत, गोगा नवमी

नवमी तिथि की स्वामिनी- देवी दुर्गा को माना गया

हिंदू पंचांग की नौवीं तिथि नवमी कहलाती है. इस तिथि का नाम उग्रा भी है क्योंकि इस तिथि में शुभ कार्य करना वर्जित होता है. यह तिथि चंद्रमा की नौवीं कला है. इस कला में अमृत का पान मृत्यु के देवता यमराज करते हैं. नवमी तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 97 डिग्री से 108 डिग्री अंश तक होता है.

वहीं कृष्ण पक्ष में नवमी तिथि का  निर्माण सूर्य और चंद्रमा का अंतर 277 से 288 डिग्री अंश तक होता है. नवमी तिथि की स्वामिनी- देवी दुर्गा को माना गया है. इस तिथि में जन्मे जातकों को मां दुर्गा की पूजा अवश्य करनी चाहिए.

गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए क्या करें?
1 मुट्ठी उड़द, ½ मुट्ठी काला-सफेद मिश्रित तिल और तीन नीले फूल को काले वस्त्र में लपेटकर एक पोटली बना लें और इसे सांयकाल से पहले मंदिर मे ंप्रांगण में स्थित बटवृक्ष की टहनी में बांध दीजिए.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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