नई दिल्ली: Aaj Ka Panchang: आज मंगलवार है. आज हनुमान जी पूजा और व्रत का विशेष दिन माना जाता है. कई लोग इस दिन व्रत भी रखते है तो वहीं कई लोग इस दिन बड़े ही भक्ति भाव से हनुमान जी की पूजा भी करते हैं. लेकिन, अगर आप पूजा भी करना चाहते हैं तो क्यों ना शुभ मुहूर्त में करें जिससे बजरंगबली प्रसन्न हो जाए.
दरिद्रता और कष्टों से मिलेगा छुटकारा
यदि आपके जीवन में कोई परेशानी है या आपके कष्टों से घिरे हुए हैं तो आज यानि मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा अवश्य करें. मान्यता है कि मंगलवार के दिन किए गए अच्छे कार्य आपको दरिद्रता और शारीरिक कष्टों से भी छुटकारा दिलाते हैं.
वैसे तो मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा सुबह करें या शाम दोनों ही समय में करना फलदायी माना जाता है. इस दिन आप सूरज के उगने के बाद और शाम को सूरज डूबने के बाद हनुमान जी की पूजा कर सकते हैं.
यदि आप शारीरिक कष्ट या दरिद्रता का सामना कर रहे हैं तो मंगलवार के दिन एक आसान से उपाय करने से आपको राहत मिलेगी. शास्त्रों के अनुसार मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ अवश्य करना चाहिए.
किस दिन कर सकते हैं बजरंग बाण का पाठ?
ध्यान रखें कि यह पाठ हनुमान के मंदिर में बैठकर करना अधिक फलदायी होता है. बजरंग बाण का पाठ करने से जीवन में चल रही सभी समस्याओं को नाश होता है और दरिद्रता से छुटकारा मिलता है. इसके अलावा शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है. आप इस पाठ को मंगलवार और शनिवार दोनों दिन कर सकते हैं.
आज का पंचांग
भाद्रपद - कृष्ण पक्ष - पंचमी तिथि - मंगलवार
नक्षत्र- रेवती नक्षत्र
महत्वपूर्ण योग- शूल योग
चन्द्रमा का मीन के उपरांत 21:06 मेष राशि पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्त- 12.04 बजे से 12.54 बजे तक
राहु काल- 03.43 बजे से 05.19 बजे तक
त्योहार- रक्षा पंचमी, हलचन्दन षष्ठी
माताएं हलषष्ठी का व्रत संतान की लंबी आयु की प्राप्ति के रखती हैं. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान हलधर उनके पुत्रों को लंबी आयु प्रदान करते हैं. हलषष्ठी व्रत में हल से जुती हुई अनाज और सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता.
इस व्रत में वहीं चीजें खाई जाती हैं जो तालाब में पैदा होती हैं. जैसे तिन्नी का चावल, केर्मुआ का साग, पसही के चावल खाकर आदि. इस व्रत में गाय के किसी भी उत्पाद जैसे दूध, दही, गोबर आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. हलषष्ठी व्रत में भैंस का दूध, दही और घी का प्रयोग किया जाता है.
इस व्रत के दिन घर या बाहर कहीं भी दीवार पर भैंस के गोबर से छठ माता का चित्र बनाते हैं. उसके बाद गणेश और माता गौरा की पूजा करते हैं.
गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
आटे और गुड़ को मिलाकर पांच लोई बनाये और उसे देशी घी में छान दीजिए. उसके बाद प्रत्येक पूड़ी को पांच साबूत पान के पत्ते पर रखकर माता काली को अर्पित कीजिए. सभी पर एक-एक लौंग और इलायची जरूर रखें.
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