Deepawali 2024: पांच दिनों का दीपावली महापर्व इस वर्ष छह दिनों का होगा. इस बार दीपावली महापर्व की शुरुआत 29 अक्टूबर को धनतेरस से होगी. 30 अक्टूबर को हनुमान जयंती और छोटी दीपावली या रूप चौदस 31 अक्टूबर और दीपावली 1 नवंबर 2024, अन्नकूट व गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 और भैयादूज 3 नवंबर 2024 के साथ ही इस महापर्व का सामापन हो जाएगा.
छह दिनों का दीपोत्सव
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पांच दिनों का दीपावली महापर्व इस वर्ष छह दिनों का होगा. इस बार दीपावली महापर्व की शुरुआत 29 अक्टूबर को धनतेरस से होगी. 30 अक्टूबर को हनुमान जयंती होगी. छोटी दीपावली या रूप चौदस 31 अक्टूबर को होगी. और दीपावली 1 नवंबर 2024, अन्नकूट व गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 और भैयादूज 3 नवंबर 2024 के साथ ही इस महापर्व का सामापन हो जाएगा.
मंगलवार 29 अक्टूबर 2024 :- धनतेरस (धन-त्रयोदशी) धनतेरस के निमित्त सायंकाल यम-दीपदान,
बुधवार 30 अक्टूबर 2024 :- नरक व रूप चतुर्दशी के निमित्त सायं दीपदान , श्री हनुमान जयंती
गुरुवार 31 अक्टूबर 2024 :- नरक व रूप चतुर्दशी, प्रभात स्नान, अभ्यंग स्नान
शुक्रवार 01 नवम्बर 2024 :- दीपावली, श्रीमहालक्ष्मी पूजन, देव-पितृ अमावस्या
शनिवार 02 नवम्बर 2024 :- अन्नकूट, गोवर्धन पूजा
रविवार 03 नवम्बर 2024 :- भैया दोज (भाई-दूज)
29 अक्टूबर को धनतेरस
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि धनतेरस जिसे धन त्रयोदशी और धन्वंतरि जयंती भी कहते हैं पांच दिवसीय दीपावली का पहला दिन होता है. धनतेरस के दिन से दीपावली का त्योहार प्रारंभ हो जाता है. मान्यता है इस तिथि पर आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रगट हो हुए थे. इसी कारण से हर वर्ष धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परंपरा निभाई जाती है.
31 अक्टूबर को रूप चतुर्दशी
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि नरक चतुर्दशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. नरक चतुर्दशी को कई और नामों से भी मनाया जाता है जैसे- नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी आदि. दीपावली से पहले मनाए जाने के कारण इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है. घर के कोनों में दीपक जलाकर अकाल मृत्यु से मुक्ति की कामना की जाती है.
1 नवंबर को दीपावली
डा. अनीष व्यास ने बताया कि दीपावली पर घरों को रोशनी से सजाया जाता है. दीपावली की शाम को शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती और धन के देवता कुबेर की पूजा-आराधना होती है. मान्यता है दीपावली की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर जाकर ये देखती हैं किसका घर साफ है और किसके यहां पर विधिविधान से पूजा हो रही है। माता लक्ष्मी वहीं पर अपनी कृपा बरसाती हैं.
2 नवंबर को गोवर्धन पूजा
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी किया जाता है. इस त्योहार में भगवान कृष्ण के साथ गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। इसी दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग बनाकर लगाया जाता है.
3 नवंबर को भाईदूज
अनीष व्यास ने बताया कि भाई दूज पांच दिवसीय दीपावली पर्व का आखिरी दिन का त्योहार होता है. भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की मनोकामनाएं मांगती हैं. इस त्योहार को भाई दूज या भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया कई नामों से जाना जाता है.
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