Jitiya Jivitputrika Vrat 2022: संतान की दीर्घायु और खुशहाली के लिए रखा जाता है ये व्रत, जानें इसका महत्व

Jitiya Jivitputrika Vrat 2022: जीवित्पुत्रिका का व्रत मुख्य रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा रखा जाता है. जितिया, जिउतिया या ज्युतिया व्रत में माताएं पूरा दिन निर्जल रहकर अपने बच्चों की लंबी उम्र और उनकी खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 18, 2022, 11:06 AM IST
  • जानिए जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व
  • जानें क्यों रखा जाता है जितिया व्रत
Jitiya Jivitputrika Vrat 2022: संतान की दीर्घायु और खुशहाली के लिए रखा जाता है ये व्रत, जानें इसका महत्व

नई दिल्ली: यह व्रत माता द्वारा संतान सुख और सलामती के लिए भी रखे जाने वाले व्रतों में से एक जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाता है. इसे जितिया, जिउतिया या ज्युतिया व्रत के नाम से भी जानते हैं. इस व्रत  माताएं  पूरा दिन निर्जल रहकर अपने बच्चों की लंबी उम्र और उनकी खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो माताएं सच्चे मन से इस व्रत को रखकर विधिवत पूजन करती हैं उनकी संतान के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और परेशानियों से उसकी रक्षा होती है. ये कठिन निर्जला व्रत मुख्यतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में अधिक रखा जाता है.

जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व

जीवित्पुत्रिका का व्रत मुख्य रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा रखा जाता है. मान्यता है कि जो माताएं इस व्रत को करती हैं उनकी संतान की उम्र लंबी होती है और संतान को जीवन में किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता. इसके अलावा संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाएं यदि इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करती हैं तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है.

जितिया व्रत पुत्र की लंबी आयु की कामना  के लिए रखा जाता है. इसके नियम काफी सख्त होते हैं. व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि के दिन नहाय-खाय से होती है. अष्टमी तिथि के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. व्रत का पारण नवमी तिथि के दिन सूर्योदय के बाद होता है.

जानें क्यों रखा जाता है जितिया व्रत 
  
जीवित्पुत्रिका व्रत का वर्णन महाभारत में भी आता है. इसका संबध पाण्डवों के प्रपौत्र परिक्षित के मृत्यु के बाद पुनः जीवित होने से जोड़ते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से वंश की वृद्धि होती है, साथ ही मनोकामनाएं पूरी होती है. इस व्रत में तीसरे दिन सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं अन्न ग्रहण कर सकती हैं.

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