नई दिल्ली: कार्तिक मास मास में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने से सभी तीर्थों का फल प्राप्त होता है, इसके साथ ही दीपदान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में इस मास को बहुत पवित्र माना गया है और इस मास को मोक्ष का द्वार कहकर संबोधित किया गया है. साथ ही यह भी बताया गया है कि इस मास में क्या करना चाहिए और क्या नहीं.
मोक्ष की होती है प्राप्ति
कार्तिक मास में पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. अगर नदियों में स्नान करना संभव ना हो तो घर के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और भगवान विष्णु का ध्यान करें. पद्मपुराण में बताया गया है कि ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान के समान फल और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है.
सुख-शांति के लिए करें तुलसी पूजा
शास्त्रों में कार्तिक मास में तुलसी की पूजा और सेवन करने का विशेष महत्व बताया है. तुलसी पर मां लक्ष्मी व कुबेर की कृपा प्राप्त होती है. इस मास में सुबह-शाम तुलसी की पूजा करने से घर में सुख-शांति का वास होता है और संपन्नता आती है. कार्तिक मास में हर रोज सुबह-शाम नदी या तालाब में दीप प्रवाहित करना चाहिए. अगर नदी-तालाब न हों तो तुलसी के साथ शालिग्राम की भी पूजा करें.
हर रोज जलाएं दीपक
कार्तिक मास में हर रोज संध्याकाल में भगवान विष्णु के नाम को स्मरण करके तिल के तेल का दीपक जलाने से भी समृद्धि और मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही बेड व खटिया पर सोने के बजाय भूमि पर बिस्तर लगाकर सोना चाहिए. ऐसा करने से मानसिक शांति के साथ क्रोध व अहंकार दूर होता है. इसके साथ ही आत्मा की भी शुद्धि होती है.
दान देने से मिलता है यह फल
कार्तिक मास में दान का विशेष महात्म्य बताया गया है. इस मास में दिया गया दान अन्य माह के अपेक्षा अधिक पुण्यदायी माना गया है. इस मास का दान कई जन्मों तक शुभ फल देता है. इसके साथ ही हर रोज उगते सूर्य को जल देना चाहिए और सभी देवी-देवताओं का आदर करना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)
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