चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से: जान लीजिए कलश स्थापना की जरूरी सामग्री, तरीका और पूजा विधि

देवी के 9 स्वरूपों के साथ ही श्री राम की पूजा भी की जाएगी. रामनवमी को उनका जन्म दिवस मनाया जाएगा. ऐसे में नवरात्र से पहले ही उसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर लेनी चाहिए. ताकि नौ दिन के व्रत में किसी सामान की कमी न आए और व्रत में विघ्न न हों. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 10, 2021, 08:16 AM IST
  • कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त को सबसे उत्तम माना गया है
  • घटस्थापना पूर्ण होने के बाद देवी मां दुर्गा का आह्वान किया जाता है
चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से: जान लीजिए कलश स्थापना की जरूरी सामग्री, तरीका और पूजा विधि

नई दिल्लीः आने वाली 13 अप्रैल 2021 से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो रही है. इस बार नवरात्र पूरे 9 दिन की है और किसी भी तिथि का क्षय नहीं होगा.

देवी के 9 स्वरूपों के साथ ही श्री राम की पूजा भी की जाएगी. रामनवमी को उनका जन्म दिवस मनाया जाएगा. ऐसे में नवरात्र से पहले ही उसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर लेनी चाहिए. ताकि नौ दिन के व्रत में किसी सामान की कमी न आए और व्रत में विघ्न न हों. जरूरी है कि इन बचे हुए दो दिनों में ही सारी सामग्री जुटा ली जाए. सबसे जरूरी है कलश स्थापना की विधि जानना. 

ZEE Hindustan बता रहा है कलश स्थापना की संपूर्ण विधि, जिसके जरिए आप बिना किसी गलती के सनातनी परंपरा के अनुसार कलश स्थापना कर सकते हैं. 

जान लीजिए घटस्थापना के नियम
दिन के एक तिहाई हिस्से से पहले घटस्थापना की प्रक्रिया संपन्न कर लेनी चाहिए. 
इसके अलावा कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त को सबसे उत्तम माना गया है. 

घटस्थापना के लिए शुभ नक्षत्र इस प्रकार हैं: पुष्या, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़, उत्तराभाद्रपद, हस्ता, रेवती, रोहिणी, अश्विनी, मूल, श्रवण, धनिष्ठा और पुनर्वसु. 

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घटस्थापना तिथि, दिन और शुभ मुहूर्त 
तिथि : 13 अप्रैल, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा

दिन : मंगलवार
स्थापना मुहूर्त समयः  05:58:27 से 10:14:09 तक
अवधि : 04 घंटे 15 मिनट

घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री
सप्त धान्य (7 तरह के अनाज)
मिट्टी का एक बर्तन जिसका मुँह चौड़ा हो
पवित्र स्थान से लायी गयी मिट्टी
कलश, गंगाजल (उपलब्ध न हो तो सादा जल)
पत्ते (आम या अशोक के)
सुपारी
जटा वाला नारियल
अक्षत (साबुत चावल)
लाल वस्त्र
पुष्प 

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घटस्थापना विधि जानिए
सर्वप्रथम मिट्टी के बर्तन में रख कर सप्त धान्य को उसमे रखें.
अब एक कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बाँधकर उसे उस मिट्टी के पात्र पर रखें.
अब कलश के ऊपर अशोक अथवा आम के पत्ते रखें. 

अब नारियल में कलावा लपेट लें. 
इसके उपरान्त नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पल्लव के बीच में रखें. 
घटस्थापना पूर्ण होने के बाद देवी का आह्वान किया जाता है. 

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