क्यों सावन में महिलाएं जाती हैं मायके? जानें इसके पीछे कारण

सावन का महीना बेहद शुभ महीना होता है. इस महीने भगवान शिव की पूजा की जाती है. वहीं काफी समय से रिवाज बना आ रहा है कि शादी के बाद नवविवाहित महिलाएं सावन का महीना अपने मायके में बिताती है. आज हम इस लेख में आपको इस प्रथा के पीछे की वजह के बारे में बताएंगे. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 29, 2023, 02:57 PM IST
  • सावन के महीने में महिलाएं क्यों जाती हैं मायके
  • सावन के महीने में क्यों पहना जाता है हरा रंग
क्यों सावन में महिलाएं जाती हैं मायके? जानें इसके पीछे कारण

नई दिल्ली: भारत में, सावन (या श्रावण) का महीना शुभ माना जाता है और भगवान शिव से जुड़ा हुआ है.  इस महीने के दौरान, कई महिलाएं और लड़कियां भगवान से आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं.  इस दौरान अपने मायके जाना देश के कई हिस्सों, खासकर उत्तर भारत में एक आम बात है.  यहां कुछ कारण बताए गए हैं कि क्यों पत्नियां और बेटियां सावन में मायके जाती हैं:

 व्रत रखना
कई महिलाएं भगवान शिव से आशीर्वाद पाने के लिए सावन के महीने में व्रत रखती हैं.  ये व्रत आम तौर पर सोमवार को रखे जाते हैं, जो  बहुत शुभ माने जाते हैं.  इस दौरान ज्यादातर महिलाएं मायके जाती हैं.

परिवार के साथ फिर से जुड़ने के लिए
सावन के दौरान मायका जाना महिलाओं के लिए अपने परिवार के साथ फिर से जुड़ने और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने का एक तरीका है.  यह उन विवाहित महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो अपनी वैवाहिक जिम्मेदारियों के कारण अपने माता-पिता और भाई-बहनों से अक्सर नहीं मिल पाती हैं.

आशीर्वाद लेने के लिए 
सावन के दौरान मायका जाना महिलाओं के लिए अपने बड़ों से आशीर्वाद लेने और भगवान शिव की पूजा करने का एक तरीका है.  इसे सावन अनुष्ठानों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, और साथ ही यह भी माना जाता है कि यह रिवाज परिवार में सौभाग्य और समृद्धि लाता है.

 गर्मी से बचने के लिए
सावन का महीना मानसून के मौसम के दौरान आता है, जो देश के कई हिस्सों में काफी उमस भरा और असुविधाजनक हो सकता है.  इस दौरान मायके जाने से महिलाओं को गर्मी से बचने और अपने मायके के ठंडे और आरामदायक वातावरण का आनंद लेने का मौका मिलता है.

सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेना
कई परिवार सावन के दौरान सांस्कृतिक गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जैसे भजन कीर्तन और अन्य धार्मिक समारोह .  इस दौरान मायका जाने से महिलाओं को इन गतिविधियों में भाग लेने और अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का मौका मिलता है.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)

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