Mahashivratri 2021: यह है बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका, बरसेगी भोलेनाथ की कृपा

बेल पत्र तीन गुणों सत्व, रज और तम गुणों का प्रतीक है. यह स्वयं शिव का स्वरूप है. महादेव को प्रसन्न करने के लिए उन पर सही ढंग से बेलपत्र चढ़ाना चाहिए.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 11, 2021, 12:10 AM IST
  • महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण भी किया जाता है.
  • शिवरात्रि का पूजन ‘निशीथ काल’ में सबसे उत्तम है
Mahashivratri 2021: यह है बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका, बरसेगी भोलेनाथ की कृपा

नई दिल्ली: महादेव शिव की पूजा का विशेष दिन महाशिवरात्रि 11 मार्च गुरुवार को है. भोलेनाथ के विवाह के दिन को उत्सव और व्रत के तरह मनाने की परंपरा युगों से चली आ रही है. फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बसंत की बहारों के बीच शिवभक्त महादेव की आराधना करते हैं. इस दौरान उन्होंने भांग-धतूरा, दूध तो चढ़ाया ही जाता है, लेकिन सबसे विशेष होता है, बेल पत्र चढ़ाना.

भगवान शिव ने जब विष पिया था तो उसके प्रभाव को शांत करने के लिए बेल के पत्तों और बेल का रस शीतलक के तौर पर दिया गया था. इसलिए महादेव की पूजा में बेल पत्र बेहद जरूरी है. इससे भी अधिक जरूरी है सही तरीके से बेलपत्र का चढ़ाया जाना. इसलिए बेलपत्र को चढ़ाने के लिए जरूरी है कि इसके नियम जान लें.

यह है बेलपत्र चढ़ाने के नियम

सबसे जरूरी बात, एक बेलपत्र में 3 पत्तियां होनी चाहिए. 3 पत्तियों को 1 ही माना जाता है.
इस बात का भी ध्यान रखें कि बेल की पत्तियां कटी-फटी न हों. बेलपत्र में चक्र और वज्र नहीं होना चाहिए.
बेल पत्र में छेद या कांट-छांट होने पर इन पत्तियों को खंडित माना गया है.
बेल की पत्तियां जिस तरफ से चिकनी होती हैं आपको उसी तरफ से शिवलिंग पर चढ़ानी चाहिए.
बेल पत्र तीन गुणों सत्व, रज और तम गुणों का प्रतीक है. यह स्वयं शिव का स्वरूप है.

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ऐसे करें महादेव की पूजा

महादेव की पूजा करना सबसे सरल है. वह केवल भावनाओं के भूखे हैं. सच्चे मन से उन्हें जो भी याद करे शिव उस पर प्रसन्न रहते हैं. उनकी पूजा के लिए सबसे पहले मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भर लें.

इसके ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, अक्षत (चावल) आदि डालकर शिवमंदिर में जाएं और ‘शिवलिंग’ पर अर्पित करें.

रात्रि में भजन जागरण करें

अगर आस-पास कोई शिव मंदिर नहीं है, तो घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया जाना चाहिए. शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप जरूर करें. सुविधानुसार माला पर भी जप कर सकते हैं. महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण भी किया जाता है. महादेव के भजनों के साथ जागरण करें.

सबसे उत्तम है निशीथ काल में पूजा

शास्त्रीय विधि-विधान को मानें तो शिवरात्रि का पूजन ‘निशीथ काल’ में करना सबसे उत्तम है. भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में से अपनी सुविधानुसार कभी भी उनका पूजन कर सकते हैं.

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