नई दिल्लीः Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष की शुरुआत आज से हो रही है. पितरों को समर्पित पितृ पक्ष में अपने मृत पूर्वजों को तर्पण देने और श्राद्ध कर्म करने से उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दौरान न केवल पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाता है, बल्कि उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए भी किया जाता है. पितृपक्ष में श्रद्धा पूर्वक अपने पूर्वजों को जल देने का विधान है.
14 अक्टूबर तक है पितृ पक्ष
पितृ पक्ष का समापन 14 अक्टूबर को होगा. श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों को प्रसन्न करने से है. सनातन मान्यता के अनुसार जो परिजन अपना देह त्यागकर चले गए हैं, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ जो तर्पण किया जाता है, उसे श्राद्ध कहा जाता है.
श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं यमराज
ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें. जिस किसी के परिजन चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित हों, बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरुष उनकी मृत्यु हो चुकी है, उन्हें पितर कहा जाता है.
पितृपक्ष में मृत्युलोक से पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं. पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनको तर्पण किया जाता है. पितरों के प्रसन्न होने पर घर पर सुख शांति आती है.
पितरों का तर्पण नहीं करने से लगता है पितृ दोष
सभी लोग अपने-अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार उनका श्राद्ध करते हैं. माना जाता है कि जो लोग पितृपक्ष में पितरों का तर्पण नहीं करते उन्हें पितृदोष लगता है. श्राद्ध करने से उनकी आत्माओं को तृप्ति और शांति मिलती है. वे आप पर प्रसन्न होकर पूरे परिवार को आशीर्वाद देते हैं.
अवश्य करना चाहिए श्राद्ध
श्राद्ध में पितरों को आशा रहती है कि हमारे पुत्र-पौत्रादि हमें पिण्ड दान और तिलांजलि देकर संतुष्ट करेंगे. इसी आशा के साथ वे पितृलोक से पृथ्वीलोक पर आते हैं. यही कारण है कि हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रत्येक हिंदू गृहस्थ को पितृपक्ष में श्राद्ध अवश्य रूप से करने के लिए कहा गया है. अन्य कई कार्य भी श्रद्धापूर्वक किए जाते हैं लेकिन यहां श्राद्ध का तात्पर्य पितृ पक्ष (अश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से अमावस्या तक) में पितरों के निमित्त किए जाने वाले तर्पण और पिंडदान से है.
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