अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाता है वट सावित्री व्रत, जानें इसका महत्व

 इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा से रखने पर पति की लंबी आयु व संतान प्राप्ति फलित होती है. इस दिन विवाहित महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 29, 2022, 10:12 AM IST
  • 30 मई के दिन पड़ेगा वट सावित्री व्रत
  • पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है व्रत
 अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाता है वट सावित्री व्रत, जानें इसका महत्व

नई दिल्ली. सोमवार को वट सावित्री व्रत है. यह सौभाग्यवती स्त्रियों का प्रमुख पर्व है. वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन रखा जाता है. इस साल वट सावित्री व्रत मई महीने की 30 तारीख को रखा जाएगा. हिन्दू धर्म में इस व्रत का खास महत्व है. इसलिए वट सावित्री व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए रखती हैं. विवाहित महिलाएं इस व्रत को विधि-विधान के साथ रखती हैं. इसके लिए विशेष पूजा सामग्री का ध्यान रखा जाता है.

इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा से रखने पर पति की लंबी आयु व संतान प्राप्ति फलित होती है. इस दिन विवाहित महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, उसकी परिक्रमा करती हैं और उसके चारों ओर कलावा बांधती हैं. वैसे तो अमावस्या तिथि ही अपने आप में महत्वपूर्ण तिथि होती है. लेकिन ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है.

वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या का खास संयोग

इस बार वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या का खास संयोग बन रहा है. ज्येष्ठ मास को पड़ने वाले सारे व्रतों में वट सावित्री व्रत को बहुत प्रभावी माना जाता है. जिसमें सौभाग्यवती महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सभी प्रकार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष के पास जाकर धूप, दीप नैवेद्य आदि से पूजा करती हैं.

साथ ही रोली और अक्षत चढ़ाकर वट वृक्ष पर कलावा बांधती हैं और हाथ जोड़कर वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं. जिससे उनके पति के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और लंबी उम्र की प्राप्ति होती है. वहीं सोमवती अमावस्या पर स्नान, दान, पितरों की पूजा और धन प्राप्ति के खास उपाय भी किए जाते हैं.

वट सावित्री व्रत का महत्व

वट सावित्री व्रत विवाहित महिलाओं के अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाता है. वट सावित्री व्रत सावित्री से जोड़ा गया है. मान्यता है कि सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले आईं थी. इस व्रत में महिलाएं सावित्री के समान अपने पति की दीर्घायु की कामना देवताओं से करती हैं ताकि उनके पति को सुख-समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्त हो सके. जिन दंपतियों की संतान नहीं है, इस दिन के व्रत से संतान की भी प्राप्ति होती है.

शास्त्रों में विवरण

पुराणों में यह स्पष्ट किया गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है. इसके नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा आदि सुनने से मनोकामना पूरी होती है. इस दिन सुहागन स्त्रियां बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. वट सावित्री व्रत सौभाग्य प्राप्ति के लिए एक बड़ा व्रत माना जाता है.

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