Vinayak Chaturthi 2024: कब है विनायक चतुर्थी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व

Vinayak Chaturthi 2024: हर माह शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से एक दिन पूर्व विनायक चतुर्थी मनाई जाती है. यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है. इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है. साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत को करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 30, 2024, 02:35 PM IST
  • कब है विनायक चतुर्थी
  • जानें पूजा शुभ मुहूर्त
Vinayak Chaturthi 2024: कब है विनायक चतुर्थी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व

नई दिल्ली Vinayak Chaturthi 2024: इस बार विनायक चतुर्थी  05 दिसंबर को मनाई जाने वाली है. यह पर्व हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इसके अलावा विशेष कार्यों में सफलता पाने के लिए व्रत भी रखा जाता है. भगवान गणेश सभी प्रकार के कष्टों को दूर करते हैं. ऐसे में विनायक चतुर्थी पर सच्चे मन से बप्पा की पूजा करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इसके साथ ही कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है. इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा करते हैं.

विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 04 दिसंबर को दोपहर 01:10 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, इसका समापन 05 दिसंबर को दोपहर 12:49 मिनट पर होगा. इस दिन चन्द्रास्त का समय रात 09:07 मिनट है. साधक 05 दिसंबर को विनायक चतुर्थी का व्रत रख सकते हैं.

शुभ योग 
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है. इस योग का समापन दोपहर 12:28 मिनट पर हो रहा है. इसके पश्चात ध्रुव योग का संयोग बन रहा है. इसके साथ ही विनायक चतुर्थी पर रवि योग का भी निर्माण हो रहा है. रवि योग शाम 05:26 मिनट तक है. वहीं, दुर्लभ भद्रावास का भी संयोग विनायक चतुर्थी पर बन रहा है. इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी. साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी.

विनायक चतुर्थी पर चंद्रमा नहीं देखते 
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखने से व्यक्ति पर कोई गलत आरोप लगते हैं. वह झूठे कलंक का भागी बनता है. ऐसे में उस दिन चंद्र दर्शन वर्जित है.

हर महीने पड़ती है दो चतुर्थी 
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिन्दू पंचांग में हर महीने में दो चतुर्थी तिथि होती हैं. पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है तथा अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. एक साल में लगभग 12 या 13 विनायकी चतुर्थी होती है. भारत के उत्तरी एवं दक्षिणी राज्यों में विनायकी चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है.
 
पूजा विधि
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि श्रद्धालू इस दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान गणेशजी की पूजा करते हैं एवं व्रत रखते हैं. शाम के समय गणेशजी की प्रतिमा को ताजे फूलों से सजाया जाता है. चन्द्र दर्शन के बाद पूजा की जाती है एवं व्रत कथा पढ़ी जाती है. तथा इसके बाद ही विनायकी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है.
 
विनायकी चतुर्थी का महत्व
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान से अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के आशीर्वाद को वरद कहते हैं. जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं. ज्ञान और धैर्य दो ऐसे नैतिक गुण है जिसका महत्व सदियों से मनुष्य को ज्ञात है. जिस मनुष्य के पास यह गुण हैं वह जीवन में काफी उन्नति करता है और मनवान्छित फल प्राप्त करता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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