नई दिल्लीः ओडिशा में स्थित पावन पुरी क्षेत्र को जगन्नाथ पुरी धाम के तौर पर जाना जाता है. यह सप्तपुरियों में एक पवित्र नगरी है और जिस तरह से महादेव शिव ने लोगों के कल्याण के लिए काशी को अपना निवास धाम बनाया ठीक उसी तरह द्वापरयुग की द्वारका के नष्ट हो जाने के बाद श्रीकृष्ण अवतार में विष्णु ने पुरी को अपना निवास बनाया.
इस तरह जगत के स्वामी के स्थान के नाम पर यह स्थान जगन्नाथ पुरी धाम कहलाया है.
पुरी राज्य में पधारे नील माधव
इस धाम के बारे में एक बहुत रोचक कथा किवदिंतियों के रूप में प्रचलित है. हुआ यह कि जब भगवान नील माधव ने पुरी के राजा इंद्रद्युम्न के राज्य में पधारे तो उनके सभी भक्त दर्शन करने पहुंचे. स्वर्ग से देवता, कैलाश से महादेव, दक्षिण से कार्तिकेय और उत्तर से लोकपालों सहित श्रीगणेश भी आए.
जगन्नाथ स्वामी ने सबको उनके अनुरूप इच्छानुसार उसी रूप में दर्शन दिया. इस अवसर पर चिरंजीवी हनुमान भी पधारे. उन्हें अपने प्रभु श्रीराम के दर्शन करने थे तो वे भी सागर पार कर चल पड़े. समुद्र ने जब उन्हें देखा तो वह भी उनके पीछे हो लिया.
समुद्र ने पुरी को डुबो दिया
हनुमान जी ने तो श्रीराम के दर्शन कर लिए, लेकिन सागर के नगर में घुसने के कारण पूरा पुरी क्षेत्र जलमग्न हो गया. श्रीराम ने सागर को भी दर्शन दिए तो सागर लौट गया. लेकिन समुद्र को जब भी मन करता वह पुरी क्षेत्र में चला आता. तब जगन्नाथ जी ने हनुमान को आदेश दिया कि वह सागर को वहीं किनारे तक रोककर रखें. हनुमान जी सागर से पुरी क्षेत्र की रक्षा में जुट गए. लेकिन, हनुमान भी भगवान के भक्त. वह भी श्रीराम के दर्शन करना चाहते थे.
हनुमान जी को सौंपा रक्षा का भार
वह जब भी पुरी में प्रवेश करते तो सागर उनके पीछे-पीछे चला आता. ऐसा तीन बार हुआ और पुरी क्षेत्र को बहुत हानि हुई. तब जगन्नाथ स्वामी श्रीराम के रूप में आए और हनुमान जी को समुद्र के किनारे ले जाकर सोने की बेड़ियों में बांध दिया और हंसते हुए कहने लगे, अब तुम दोनों भक्त यहीं से मेरे दर्शन करना.
मंदिर को कहते हैं दरिया महावीर
प्रभु की आज्ञा पाकर हनुमान जी आज भी बेड़ियों में जकड़े हुए समुद्र से पुरी धाम की रक्षा कर रहे हैं. इस कथा का साक्षी है पुरी धाम में सागर के किनारे स्थित बेड़ी हनुमान मंदिर.
बेड़ी का अर्थ होता हैं जंजीरे अर्थात इस मंदिर में हनुमान जी को जंजीरों में बांधने के कारण इसे बेड़ी हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है. स्थानीय लोग इसे दरिया महावीर मंदिर भी कहते हैं. दरिया का अर्थ सागर से लगाया जाता है. ,
इसलिए बेड़ियों में बंधे हैं हनुमान जी
बेड़ी हनुमान मंदिर भक्त और भगवान के बीच अनूठे संबंध की कहानी कहता है. जगन्नाथ स्वामी के दर्शन करने वाले हर भक्त बेड़ी हनुमान जरूर जाते हैं. इसकी भी वजह बताई जाती है कि जो भक्त जगन्नाथ स्वामी के दर्शन करके आते हैं, हनुमान जी उनकी ही आंखों में झांक कर प्रभु के दर्शन करते हैं.
मंदिर में हनुमान जी का मुख कुछ टेढ़ा है और आंखें चौड़ी हैं. कहते हैं कि जब भगवान उन्हें बांधकर यहां से गए तो वह उसी ओर देखते रहे, जिधर से भगवान गए. शांत स्थल पर बना यह मंदिर मन को भी बेहद शांति देता है.
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