आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, 'आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं'

देश में आरक्षण के मुद्दे पर समय समय पर कोई न कोई विमर्श होता रहता है. सियासी दल आरक्षण को अपने वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करते हैं और जातियों के बीच वैमनस्य वातावरण बनाते हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 11, 2020, 06:54 PM IST
    • नीट में आरक्षण देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार
    • सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका
    • तमिलनाडु में मेडिकल सीटों पर OBC आरक्षण नहीं दिए जाने के खिलाफ याचिका
आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, 'आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं'

नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने आरक्षण पर बड़ी टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण किसी भी व्यक्ति या समुदाय का मौलिक अधिकार नहीं है. डीएमके, एआईडीएमके, सीपीएम, तमिलनाडु सरकार और तमिलनाडु की कई पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में NEET के तहत मेडिकल कॉलेज में सीटों को लेकर राज्य में 50 फीसदी OBC आरक्षण के मामले पर याचिका दायर की थी. अदालत ने कड़ी फटकार लगाते हुए सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट से हटाने का आदेश दे दिया.

नीट में आरक्षण देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि तमिलनाडु में मेडिकल सीटों पर OBC आरक्षण नहीं दिए जाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु की सभी राजनीतिक पार्टियां राज्य के ओबीसी के कल्याण के एक साथ मिलकर आगे आई हैं, यह सामान्य बात नहीं है लेकिन आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है. इसे बुनियादी अधिकार के रूप में प्राप्त करने का दावा नहीं किया जा सकता.

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सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में उन समाजवादी पार्टी, बसपा, राजद और कई कथित जातिवादी पार्टियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है. ये सभी राजनीतिक दल वर्षों से अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण के नाम पर अपना सियासी मोहरा बनाते आये हैं. उत्तरप्रदेश, बिहार और तमिलनाडु समेत कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों की राजनीति जातिवाद पर आधारित है. आरक्षण जैसे संवेदनशील विषय पर जातियों में भ्रम फैलाकर ये राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकते हैं. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी इन सभी के लिए बड़े झटके से कम नहीं है.

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इन पार्टियों ने दाखिल की थी याचिका

आपको बता दें कि डीएमके, एआईडीएमके, सीपीएम, तमिलनाडु सरकार और तमिलनाडु की कई पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में NEET के तहत मेडिकल कॉलेज में सीटों को लेकर राज्य में 50 फीसदी OBC आरक्षण के मामले पर याचिका दायर की थी. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई थी लेकिन कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. जस्टिस राव ने कहा कि आरक्षण कोई बुनियादी अधिकार नहीं है.

 

 

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