लखनऊ: हाथरस की बेटी का दर्द देश को समझ आ गया लेकिन शायद सरकार को नहीं तभी तो सूर्यास्त के बावजूद रात के अंधेरे में उसकी चिता जला दी गई जिसकी हिंदू धर्म में मनाही है. फॉरेंसिक रिपोर्ट में 'कहानी' बदल गई? जातिगत हिंसा भड़काने की साजिश का पुलिसिया दावा कितना सही है?
उल्लेखनीय है कि मीडिया को रोक दिया गया.धारा 144 लगा दी गई और अब तो पुलिस फॉरेंसिक रिपोर्ट को सामने रखकर ये दावा कर रही है कि पीड़िता के साथ गैंगरेप हुआ ही नहीं था.
गला दबाने से उसकी मौत हुई...लेकिन गला दबाने का दावा करने वाले देश की आवाज़ को कैसे दबाएंगे क्योंकि अब शहर-शहर निर्भया है और शहर-शहर सवाल....सरकारें ना समझी तो देश की बेटियों के लिए बड़ा बवाल तय है।
हाथरस केस की एसआईटी जांच शुरू
देश भर में उठ रही विरोध प्रदर्शन की आवाजों के बीच हाथरस निर्भया केस की एसआईटी जांच शुरू हो चुकी है. योगी सरकार के आदेश पर गठित एसआईटी की टीम ने हाथरस जाकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की और उनकी शिकायतों पर संज्ञान लिया. एसआईटी की महिला सदस्य पूनम सिंह ने तीन घंटे तक पूछताछ कर पूरा ब्योरा जुटाया.
पीड़ित परिवार ने एसआईटी के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कैसे पूरे गांव के विरोध के बीच पुलिस ने उनकी बिटिया के शव का दाह-संस्कार जबर्दस्ती कर दिया। पुलिस ने उस दौरान दबंगई दिखाए हुए पीड़ित परिवार के सदस्यों से मारपीट भी की. पीड़िता के परिवार ने हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार पर धमकाने और दबाव डालने का गंभीर आरोप लगाया.
अब हाथरस के डीएम ने दी सफाई
हाथरस कांड को लेकर वहां के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वो पीड़ित परिवार को धमकाने वाले अंदाज में ये कहते सुनाई दे रहे हैं कि मीडिया वाले तो चले जाएंगे, लेकिन प्रशासन को यहीं रहना है. अब इस वीडियो के सामने आने के बाद जिलाधिकारी प्रवीण कुमार ने सफाई देते हुए कहा है कि वो तो पीड़ित परिवार से बात करने गये थे. धमकाने का आरोप सरासर गलत है.
क्लिक करें- China Conflict: भारत के आकाश में 'ब्रह्मोस गर्जना'
जांच भटकाने की कोशिश जारी
हाथरस के निर्भया परिवार के साथ सलूक को लेकर पुलिस-प्रशासन जो दावे कर रहा है, उसमें कितनी सच्चाई है, ये मीडिया रिपोर्ट के वीडियोज में साफ देखा-सुना जा सकता है. उन्हीं वीडियोज में कुछ पुलिसवाले ये कहते भी सुने जा सकते हैं कि देर रात दाह संस्कार का आदेश उन्हें ऊपर से मिला है, वो सिर्फ हुक्म की तामील कर रहे हैं.
जाहिर है हाथरस कांड में पुलिस का रवैया क्लीनचिट वाला नहीं है. इससे पहले पुलिस की ओर से ये दावा किया गया कि मौत से पहले पीड़िता ने तीन बार अपना बयान बदला. हालांकि पुलिस का ये दावा भी सवालों के घेरे में है
जातिगत हिंसा भड़काने की साजिश - पुलिस
इसी कड़ी में हाथरस पुलिस ने एक और सनसनीखेज दावा किया है. पुलिस की ओर से कहा गया है कि जातिगत हिंसा भड़काने के लिये गैंगरेप की साजिश रची गई थी. पुलिस की ओर से दावा किया गया है कि फॉरेंसिक रिपोर्ट में गैंगरेप की पुष्टि नहीं हुई है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र है कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में चोट के पुराने निशान हैं.
हाथरस कांड की जांच का 'अंजाम' तय है?
सवाल ये है कि मरने से पहले सक्षम अधिकारी के सामने दिया गया पीड़िता का बयान क्या कोई मायने नहीं रखता? सवाल ये है कि क्या हाथरस की निर्भया की आवाज को दबाने की कोशिश हो रही है? पुलिस इसके पहले पीड़ित परिवार की आरोपियों के परिवारों से लड़ाई का पुराना हिसाब भी गिना चुकी है. जाहिर है ऐसे में पुलिस के दावों को सामने रखकर अगर आप विचार करें तो हाथरस निर्भया केस की जांच का होने वाला अंजाम समझने में आपको देर नहीं लगेगी.
देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐप. जो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा... नीचे के लिंक्स पर क्लिक करके डाउनलोड करें- Android Link - https://play.google.com/store/apps/details?id=com.zeenews.hindustan&hl=e... iOS (Apple) Link - https://apps.apple.com/mm/app/zee-hindustan/id1527717234