नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बयान दिया. जिसके बाद वो हर किसी के लिए सबसे बड़ा मुद्दा बन गया. बीजेपी ने पलटवार किया और खूब खरी-खोटी सुनाने का सिलसिला शुरू कर दिया. ये बयान अरविंद केजरीवाल ने बिहारियों के उपर दिया था.
केजरीवाल की ज़ुबान से निकली एक बात विवाद की सबसे बड़ी वजह बन गई. दिल्ली में एक अस्पताल को ढाल बनाते हुए केजरीवाल ने जो भी बोला वो शायद आम आदमी पार्टी की सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकती है. दरअसल, केजरीवाल का बयान ये दिल्ली में होने आगामी विधानसभा चुनाव की तस्वीर बदलने और उलटफेर में मददगार साबित हो सकता है.
केजरीवाल ने क्या कहा?
अरविंद केजरीवाल ने कहा, ''अब ऐसा है कि बिहार से एक आदमी 500 रुपए की टिकट लेता है, दिल्ली में आता है. अस्पताल में 5 लाख रुपए का ऑपरेशन फ्री में कराकर वापस चला जाता है. इससे खुशी भी होती है कि अपने ही देश के लोग हैं. बढ़िया है सबका इलाज होना चाहिए. सब खुश रहने चाहिए, लेकिन दिल्ली की भी अपनी कैपेसिटी है. दिल्ली पूरे देश के लोगों का कैसे इलाज करेगी?''
अरविंद केजरीवाल का पूरा बयान सुनने के लिए नीचे दिए वीडियो को देखिए...
#WATCH Delhi CM: One person from Bihar buys a ticket to Delhi for Rs 500, returns after availing free treatment worth Rs 5 lakhs. While it makes us happy as they are people of our own country, but Delhi has its own capacity. How can Delhi serve people of entire country? (29.09) pic.twitter.com/qW1hvryPnK
— ANI (@ANI) September 30, 2019
बयान पर क्यों मच गया संग्राम?
अरविंद केजरीवाल के इस बयान को लेकर हर तरफ जंग छिड़ गई है. चाहें वो दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी हो या फिर बिहार की क्षेत्रीय पार्टियों जैसे आरजेडी, जेडीयू हो... बयान के बाद केजरीवाल पर चौतरफा हमला शुरू हो गया है. इसके पीछे एक ये भी वजह हो सकती है कि अगले ही साल यानी साल 2020 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव होने हैं. 2015 के चुनाव में तो आम आदमी पार्टी ने बीजेपी और कांग्रेस की हालत खराब कर दी थी. कुल 70 सीटों में से 67 सीट पर कब्जा जमाते हुए अपने विरोधियों को केजरीवाल ने जबरदस्त पटखनी दी थी. लेकिन, उसके बाद आम आदमी पार्टी के अंदरूनी खेमे में खासा उलट-पलट देखने को मिली. कई बड़े चेहरों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया, तो कई के उपर आरोप लगे. और कई ने तो पार्टी छोड़ने के साथ-साथ केजरीवाल की खटिया खड़ी करनी भी शुरू कर दी.
योगेंद्र यादव, आशुतोष, कुमार विश्वास, कपिल मिश्रा... न जाने कितने सारे ऐसे नाम हैं, जो आम आदमी पार्टी के मुख्य अंग हुआ करते थे. लेकिन न जाने कौन सी विपदा आ पड़ी कि कभी अरविंद केजरीवाल के बेहद करीबी माने जाने वाले ऐसे कई नेता आज उन्हीं के खिलाफ सिर्फ और सिर्फ ज़हर उगलने का काम करते हैं.
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के इस बयान के बाद मनोज तिवारी ने उनके उपर तीखा प्रहार किया और केजरीवाल के इस बयान को पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत शीला दीक्षित के उस बयान से तुलना कर दी जिसके बाद शीला दीक्षित को लिखित रूप से माफी मांगनी पड़ी थी.
इसके साथ ही आरजेडी नेता मनोज झा और जेडीयू के कई नेताओं ने भी केजरीवाल को खूब भला-बुरा बोला और उनको इस बयान के लिए जमकर कोसा.
शीला दीक्षित ने क्या बोला था?
दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित ने कहा था, 'दिल्ली नगर जो है वो माना जाता है कि सबसे खुशहाल नगर है. तो यहां बिहार से भी यूपी से भी सब जगह से लोग यहीं आ जाते हैं, क्या करें आप और मैं? रोक तो सकते नहीं उन्हें. कोई ऐसा हमारे यहां कायदा नहीं है कानून नहीं है. जिसमें हम कहें कि थम जाओ अब तुम ना जाओ.'
शीला दीक्षित के इस बयान पर तब जमकर बवाल मचा था. इसके बाद एक बार फिर उनका दूसरे राज्यों के लोगों की वजह से दिल्ली पर बोझ बढ़ने वाला बयान आया. तो पूरे देश में सियासत गरमा गई थी. जिसके बाद शीला दीक्षित को लिखित तौर पर माफी मांगनी पड़ी थी.
केजरीवाल को क्या हो सकता है नुकसान?
सीएम अरविंद केजरीवाल के इस बयान पर सियासी गलियारों में जबरदस्त महाभारत छिड़ गया है. केजरीवाल को आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में इसका काफी ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
केजरीवाल के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी उनकी जबरदस्त खिल्ली उड़ाई जा रही है. दिलचस्प बात ये है कि हरियाणा के हिसार जिले में जन्मे अरविंद केजरीवाल का खुद बिहार से खास नाता रहा है. अविभाजित बिहार के जमशेदपुर में अरविंद केजरीवाल खुद 1989 से 1992 तक नौकरी कर चुके हैं. दिल्ली का वोटर बनने से पहले तक केजरीवाल यूपी के गाजियाबाद के वोटर थे. अब ऐसे में कई लोग तो उन्हीं के उपर ये सवाल खड़ा कर रहे हैं कि वो खुद दिल्ली के बाहर से हैं.
दिल्ली में पूर्वांचल मूल की तादाद
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 50 में पूर्वांचल मूल की तादाद 20 से 60 फीसद तक हो गई है. माना जाता है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में इन वोटरों ने आम आदमी पार्टी का खुलकर समर्थन किया था. जिनके दम पर 70 सदस्यों वाली विधानसभा में केजरीवाल को 67 सीटें मिली थीं. इसलिए केजरीवाल को अब हर जगह अपने विवादित बयान पर सफाई देनी होगी.
दिल्ली चुनाव को देखते हुए ही बीजेपी ने बड़ा पासा फेंकते हुए मनोज तिवारी को दिल्ली बीजेपी की कमान सौंपी थी. ऐसे में बीजेपी दिल्ली के आगामी चुनाव में इसका कितना लाभ ले पाएगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.