नई दिल्ली: Amethi Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी की अमेठी और रायबरेली सीट चर्चा में हैं. बीते चुनाव में भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अमेठी से चुनाव हरा दिया था. ये दोनों सीटें गांधी-नेहरू परिवार का गढ़ रही हैं. एक समय ऐसा भी था जब अमेठी सीट पर मेनका गांधी की नजर हुआ करती थी. इसका जिक्र वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई ने अपनी किताब '24 Akbar Road: A Short History of the People Behind the Fall and Rise of the Congress' में किया है.
1980 में जीते थे संजय गांधी
साल 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व PM इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी को अमेठी से टिकट दिया. उनके सामने जनता पार्टी ने रविंद्रप्रताप सिंह को मैदान में उतारा. संजय ने रविंद्रप्रताप को 1.28 लाख वोटों से चुनाव हराया. संजय को 1.86 लाख वोट मिले. जबकि रविंद्रप्रताप ने 58 हजार के करीब वोट ही पाए.
संजय की मौत के बाद उपचुनाव हुआ
23 जून, 1980 को एक विमान दुर्घटना में संजय गांधी की मौत हो गई. इसके बाद मेनका गांधी को लगा कि संजय गांधी की उत्तराधिकारी वही हैं. वे 70 के दशक से ही अपने पति संजय के राजनीतिक कार्यक्रमों में दिखने लगी थीं. लिहाजा, उन्होंने अमेठी से 1981 में उपचुनाव लड़ने का फैसला किया. लेकिन उनकी कम उम्र आड़े आ रही थी. तब मेनका की उम्र 24 साल थी, जबकि लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम उम्र 25 साल होना आवश्यक है.
इंदिरा गांधी ने नहीं मानी बात
वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई ने अपनी किताब में गांधी परिवार के करीबी और पूर्व राजनयिक मोहम्मद यूनुस के हवाले से एक किस्सा लिखा है. उन्होंने लिखा, ' भारत में चुनाव लड़ने की न्यूनतम उम्र 25 वर्ष है. लेकिन तब तक मेनका 25 साल की नहीं हुई थीं. इसलिए वे चाहती थीं की उनकी सास और देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी संविधान में संशोधन करें और चुनाव लड़ने की उम्र को घटा दें. लेकिन इंदिरा नहीं मानी.' फिर यहां से राजीव गांधी को प्रत्याशी बनाया और वे जीत गए. इंदिरा को लगा कि मेनका संजय की राजनीतिक विरासत पर अपना हक जमाना चाह रही हैं. यही कारण है कि बाद में इंदिरा और मेनका के बीच दूरियां बढ़ गईं.
नोट: यहां दिए गए तथ्य राशिद किदवई की किताब '24 अकबर रोड' से लिए गए हैं. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता.
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