Karhal Chunav 2024: अखिलेश के किले को भेदने की ये रणनीति, करहल में BJP ने खेला 2002 वाला दांव!

Karhal Chunav 2024: जब से सपा अस्तित्व में आई है, करहल सीट इनका गढ़ बनी हुई है. 2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार ये दुर्ग भेदा था, अब फिर से वही रणनीति बनाई गई है. देखना होगा कि सपा का किला भाजप एक बार फिर भेद पाती है या नहीं. 

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Oct 26, 2024, 12:33 PM IST
  • करहल में 2002 में जीती भाजपा
  • पहली बार यहां सपा हारी थी
Karhal Chunav 2024: अखिलेश के किले को भेदने की ये रणनीति, करहल में BJP ने खेला 2002 वाला दांव!

नई दिल्ली: Karhal Chunav 2024: यूपी में 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. सपा का गढ़ रही करहल विधानसभा सीट पर भी वोटिंग होनी है. यहां से समाजवादी पार्टी ने तेज प्रताप यादव को टिकट दिया है. जबकि भाजपा ने अनुजेश प्रताप यादव को प्रत्याशी बनाया है. दोनों पार्टियों ने यादव उम्मीदवार पर दांव खेलकर अपनी-अपनी चाल चल दी है. लेकिन भाजपा ने अखिलेश यादव की किले को भेदने के लिए जीत का फॉर्मूला तैयार किया है, अब देखना होगा कि ये कितना कारगर साबित होता है.

अखिलेश के लिए करहल सीट क्यों अहम?
दरअसल, 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने करहल से ही जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश ने टाल ठोक दी और वे कन्नौज से चुनाव जीत गए. इसके बाद करहल की सीट खाली हो गई. अब यहां पर उपचुनाव है और ये सीट अखिलेश की प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है.

सपा एक बार हारी चुनाव
जब से सपा अस्तित्व में आई है, करहल सीट पार्टी के अभेद्य किला बन गई है. हालांकि, बीच में एक बार साल 2002 में सपा के इस किले को भाजपा ने भेदकर दिखा दिया था. अबकी बार भी भाजपा को वैसे ही करिश्मे की उम्मीद है.

2002 के विधानसभा चुनाव में क्या हुआ?
दरअसल, 2002 के विधानसभा चुनाव में सपा ने यहां से अनिल यादव चुनाव को टिकट दिया, जबकि भाजपा ने सोबरन सिंह यादव को चुनावी मैदान में उतारा. दोनों ही पार्टियों ने चुनाव 'यादव बनाम यादव' किया.  सोबरन सिंह भाजपा छोड़कर सपा में आए थे. वे पहले से सपा की कार्यशैली और मजबूती-कमजोरी जाते थे. अनिल यादव इलाके की नब्ज पकड़ने में असफल रहे. सीट पर कड़ा मुकाबला हुआ भाजपा के सोबरन सिंह यादव सपा के अनिल यादव से 925 वोटों से चुनाव जीत गए

BJP ने अबकी बार कैसे चला 2002 जैसा दांव?
इस बार भी भाजपा ने 2002 जैसा दांव खेलते हुए यादव उम्मीदवार को प्रत्याशी बनाया है. भाजपा ने दिवंगत सपा नेते मुलायम सिंह यादव के दामाद और सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के बहनोई अनुजेश प्रताप यादव को टिकट दिया है. जबकि सपा ने मुलायम सिंह यादव के पोते और लालू प्रसाद यादव के दमाद तेज प्रताप पर भरोसा जताया  है. चुनाव न सिर्फ यादव वर्सेस यादव बल्कि मुलायम परिवार बनाम मुलायम परिवार बन गया है.

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