नई दिल्ली: 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी के एक बयान ने राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है. राहुल गांधी ने कहा मैं हिंदू हूं, हिंदुत्ववादी नहीं, जिसके बाद विश्व हिंदू परिषद उनका गोत्र पूछ रही है तो बीजेपी कह रही है कि कांग्रेस सांसद कन्फ्यूज हैं. उन्हें पता नहीं कि वो क्या हैं.
राहुल का 'मिशन हिंदुत्ववादी' हटाओ!
माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए राहुल ने हिंदू वोटबैंक को साधने के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदाय को खुश करने के लिए हिंदू और हिंदुत्व को अलग-अलग बताया. राहुल गांधी ने कहा कि 'हिंदू शब्द और हिंदुत्ववादी शब्द के बीच में फर्क बताना चाहता हूं. भाइयों और बहनों महात्मा गांधी हिंदू गोडसे हिंदुत्ववादी.'
राहुल गांधी के बयान पर पलटवार करते हुए बीजेपी ने कहा है कि राहुल गांधी पूरी तरह से कन्फ्यूज हैं कि वो क्या हैं और ऐसी स्थिति में राहुल गांधी को अपने दादा फिरोज खान की मजार पर बैठकर उनसे पूछना चाहिए कि वो हिंदू हैं कि कुछ और..
हिंदू-हिंदुत्व पर राहुल कन्फ्यूज?
जयपुर में राहुल गांधी ने कहा कि हिंदू अपने डर का सामना करता है. वो एक इंच पीछे नहीं हटता है. हिन्दुत्ववादी डर के सामने झुक जाता है. राहुल गांधी के इस बयान से ये समझा जा सकता है कि राहुल गांधी खुद को हिंदू बताकर ये जताना चाहते हैं कि वो किसी से डरते नहीं हैं और पीछे नहीं हटेंगे. लेकिन राहुल गांधी को कांग्रेस और अपने नेताओं की पुरानी करतूतों को जरा याद करना चाहिए.
कांग्रेस के दिग्गज नेता हिंदू को आतंकवाद से जोड़ते हैं, हिंदू को कभी आंतक बताने वाली कांग्रेस के युवराज जब हिंदू कार्ड खेलने की कोशिश करते हैं, वो भी तब जब चुनाव नजदीक है ऐसे में इसका असल मकसद किसी को समझाने या फिर बताने की जरूरत नहीं है.
हिंदू कहलाएंगे, हिंदुत्व से डराएंगे?
यदि राहुल गांधी हिंदू और हिंदुत्ववादी को लेकर परिभाषा तैयार कर रहे हैं तो उन्हें अपने पुराने बयानों और अपने नेताओं के पुराना वक्तव्यों पर गौर फरमाना चाहिए. कांग्रेस ने हिंदुओं को आतंकी क्यों बनाया, क्यों राहुल गांधी ने लश्कर से ज्यादा खतरा हिंदू आतंकवाद को बताया, क्यों दिग्विजय सिंह ने मुंबई हमले को हिंदू आतंकवाद की साजिश बताया, क्यों सुशील कुमार शिंदे, शशि थरूर औऱ चिदंबरम से तक सबने देश की बहुसंख्यक आबादी हिंदुओं की ब्रैंडिंग आतंकी की कर दी.
राहुल गांधी को अपना आदर्श मानते हुए सबसे पहले पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने 25 अगस्त 2010 को ये बयान दिया कि 'मालेगांव ब्लास्ट में भगवा आतंकवाद का हाथ है.' यानी भगवा आतंकवाद को भुनाकर कांग्रेस पार्टी अपनी सरकार चलाना चाहती थी. ये सिलसिला साल 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ठीक पहले बढ़ता चला गया.
ये भी पढ़िए- किसे मिलेगा यूपी में ब्राह्मणों का आर्शीवाद? पूर्वांचल में अखिलेश बढ़ा रहे बीजेपी की टेंशन
20 जनवरी 2013 को कांग्रेस नेता सुशील शिंदे ने ये बयान दिया कि 'BJP और RSS प्रशिक्षण शिविरों में हिंदू आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं.' शिंदे के इस बयान की याद राहुल गांधी को उस वक्त जयपुर में क्यों नहीं आई जब वो हिंदू की परिभाषा देश के सामने परोस रहे थे.
दिग्विजय सिंह ने 25 जुलाई 2013 को ही एक तड़कता-भड़कता बयान दिया. जिसमें उन्होंने कहा कि 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बम बनाने का प्रशिक्षण देता है.' वहीं 11 जुलाई 2018 को तो शशि थरूर ने भी ये बोल दिया कि '2019 में बीजेपी जीती तो देश हिंदू पाकिस्तान बन जाएगा.'
भारत देश को कांग्रेस के नेताओं ने हिंदू पाकिस्तान कह कर संबोधित किया, लेकिन राहुल गांधी ने इस पर आज तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन आज यूपी चुनाव से पहले राहुल गांधी को हिंदू और हिन्दुत्ववादी का फर्क समझ आने लगा है. साल 2019 में हुआ लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस पार्टी के दिग्विजय सिंह ने एक बाद फिर ये बोल दिया कि 'ISI के लिए जासूसी गैर मुस्लिम ज्यादा करते हैं.'
सत्ता के लिए 'कन्फ्यूजन' अच्छा है?
राहुल गांधी ने मंच से हिंदू और हिंदुत्व का मुद्दा छेड़ दिया और छेड़ा नहीं बल्कि 8 मिनट तक हिंदू और हिंदुत्व की परिभाषा समझाई और मोदी सरकार को घेरा. सवाल है कि आखिर राहुल गांधी को चुनावी मौसम में हिंदू शब्द कैसे याद आ गया?
राहुल गांधी के भाषण की 10 बड़ी बातें
1). आज देश में विचारधारा की लड़ाई
2). मैं हिंदू हूं लेकिन हिंदुत्ववादी नहीं
3). महात्मा गांधी हिंदू, गोडसे हिंदुत्ववादी
4). गांधी जी को हिंदुत्ववादी ने गोली मारी
5). हिंदुत्ववादी को सिर्फ सत्ता से प्यार
6). ये देश हिंदुओं का, हिंदुत्ववादियों का नहीं
7). हिंदुत्ववादियों की वजह से देश में महंगाई
8). 2014 से हिंदुत्ववादियों का राज है
9). हिंदुत्ववादियों को बाहर निकालना है
10). हिंदुत्ववादियों ने 8 साल में देश बर्बाद किया
सवाल तो यही है कि आखिर अचानक से राहुल गांधी को हिंदू और हिंदुत्व का मुद्दा क्यों याद आ गया. कहीं इसका उत्तर प्रदेश चुनाव से कोई लेना-देना तो नहीं है, क्योंकि चुनाव से पहले राहुल गांधी मंदिर जाने या फिर खुद को ब्राह्मण साबित करने की कोशिश में रहते हैं. अगले दो महीने में यूपी में चुनाव है, तो जयपुर से ही कहीं हिंदू कार्ड चलने की कोशिश तो नहीं?
सबसे बड़ी बात कि राहुल गांधी ने बीजेपी के पिच पर खेलने की कोशिश शुरू कर दी है, लेकिन कांग्रेस ये जानती है कि यहां का सियासी खेल इतना आसान नहीं है. ऐसे में कांग्रेस ने हिंदू का मुद्दा उठाया तो यूपी के चुनाव में एक समुदाय का वोट एक तरफा कांग्रेस से खिसक कर अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी की तरफ जा सकता है. अब राहुल गांधी और कांग्रेस तो इस बात को अच्छे से समझती है, ऐसे में राहुल ने आखिर ऐसी गलती क्यों की है? क्या ये एक मात्र संयोग है या फिर प्रयोग, जाने अंजाने में राहुल गांधी की ऐसी चाल से अखिलेश यादव की सपा को फायदा पहुंच सकता है. राहुल का ये हिंदू कार्ड यूपी चुनाव में कितना कारगर साबित होता है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
ये भी पढ़िए- अमेठी से यूपी चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे राहुल गांधी, ये है मुसीबत
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.