वसुंधरा को मेरे कारण सजा नहीं मिलनी चाहिए, अशोक गहलोत ने सुनाया कैलाश मेघवाल का किस्सा

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत बोले वसुंधरा राजे सिंधिया को मेरे कारण सजा नहीं मिलनी चाहिए. यह बीजेपी की नेता के साथ अन्याय होगा.

Written by - PTI Bhasha | Last Updated : Oct 19, 2023, 05:52 PM IST
  • वसुंधरा राजे की कथित उपेक्षा को लेकर दिया बयान
  • 1990 के दशक की राजनीतिक घटना का उल्लेख किया
वसुंधरा को मेरे कारण सजा नहीं मिलनी चाहिए, अशोक गहलोत ने सुनाया कैलाश मेघवाल का किस्सा

नयी दिल्ली: राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की कथित उपेक्षा को लेकर बृहस्पतिवार को बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को उनके कारण सजा नहीं मिलनी चाहिए. नई दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत की.

अशोक गहलोत से सवाल किया गया कि भाजपा में वसुंधरा की उपेक्षा पर उनका क्या कहना है. इस पर अशोक गहलोत ने कहा कि अगर वसुंधरा राजे को उनकी वजह से सजा मिलती है तो यह बीजेपी की नेता के साथ अन्याय होगा.  मैं यह कहना चाहूंगा कि मेरे कारण उनको सजा नहीं मिलनी चाहिए. यह अन्याय होगा.’’ 

भैरो सिंह शेखावत की सरकार का किस्सा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने 1990 के दशक की राजनीतिक घटना का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि तत्कालीन सीएम भैरो सिंह शेखावत उपचार के लिए अमेरिका गए थे. उस वक्त भाजपा के लोग ही उनकी सरकार गिराना चाहते थे, लेकिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने विरोध किया था. उनके अनुसार, कभी भाजपा के दिग्गज नेता रहे कैलाश मेघवाल को यह बात पता थी. 2020 में जब उनकी सरकार पर संकट आया तो उन्होंने कह दिया कि राजस्थान में सरकार गिराने की परंपरा नहीं रही है. 

वसुंधरा की भावना भी मेघवाल जैसी
गहलोत ने कहा कि वसुंधरा के समर्थक विधायकों ने बताया था कि पूर्व मुख्यमंत्री की भावना भी मेघवाल जैसी ही है. उनका कहना था, ‘‘मैं गलती से बोल गया कि मेघवाल और वसुंधरा जी की राय एक थी.’’ 

मई में दिया था ये बयान
गहलोत ने इस साल मई में राजस्थान के धौलपुर में दावा किया था कि वह 2020 में कांग्रेस के कुछ विधायकों की बगावत से बच गए क्योंकि वसुंधरा राजे व कैलाश मेघवाल ने चुनी हुई सरकार को गिराने के षडयंत्र का समर्थन करने से इनकार कर दिया था. 

तब राजे ने कहा था, ‘‘2003 से लेकर अब तक कांग्रेस नेता अशोक गहलोत को कभी बहुमत नहीं मिला. इसलिए वे मुझे सबसे बड़ा शत्रु और उनकी राह में कांटा मानते हैं. इसलिए उनकी तारीफ सद्भावना नहीं, दुर्भावना है; जैसे मुंह में राम, बगल में छुरी.’’ 

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