पटना: राजद नेता तेजस्वी यादव बेहद बेचैनी में हैं. वह बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने चुनौती पेश करने की पूरी तैयारी कर चुके हैं. लेकिन खास बात ये है कि इस होड़ में उन्होंने अपने ही परिवार से किनारा कर लिया है.
राजद के कैंपेन में छाए हुए हैं तेजस्वी
राष्ट्रीय जनता दल के कैंपेन में इस बार जो बात सबसे ज्यादा अजीब देखी जा रही है कि इस बार तेजस्वी यादव के चेहरा हर तरफ देखा जा रहा है. ये एक बड़ा बदलाव है.
लालू, राबड़ी, तेज प्रताप, मीसा सब गायब
तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी को मुद्दा बनाते हुए 'बेरोजगारी हटाओ यात्रा' निकाली है. इस यात्रा की शुरुआत 23 फरवरी से हुई. इस दौरान पटना के वेटनरी कॉलेज में मंच सजाया गया. लेकिन वहां की तस्वीरों में सिर्फ तेजस्वी यादव ही छाए रहे. रैली के मंच से लेकर सभा स्थल तक सिर्फ तेजस्वी यादव की ही ब्रांडिंग की गई थी.
भाई तेजप्रताप और मीसा को पूरी तरह हटाया
खास बात ये है कि बेरोजगारी हटाओ यात्रा के दौरान लालू और राबड़ी भले ही होर्डिंग से गायब थे. लेकिन कटआउट पर तेजस्वी की टीम ने माता पिता को लगा दिया.
लेकिन भाई तेजप्रताप और बहन मीसा भारती को पूरी तरह साफ कर दिया. जबकि तेजप्रताप बिहार के स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं और मीसा भारती सांसद हैं. लेकिन दोनों ही पोस्टर और कटआउट दोनों से गायब दिखे.
सोशल मीडिया पर भी छाए हुए हैं तेजस्वी
तेजस्वी यादव ना केवल होर्डिंग और कटआउट पर छाए हुए हैं. बल्कि सोशल मीडिया पर जो राष्ट्रीय जनता दल का कैंपेन चल रहा है, उसमें भी तेजस्वी ने सबको बाहर कर रखा है. सिर्फ पिता लालू यादव का जिक्र होता है, वो भी बेहद कम.
परिवार से चुनौती नहीं चाहते हैं तेजस्वी
दरअसल तेजस्वी यादव के परिवार में मां राबड़ी देवी पूर्व मुख्यमंत्री हैं. भाई तेज प्रताप बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हैं. बहन मीसा राजद की तरफ से पांच साल के लिए राज्यसभा में चुनी गई हैं. लेकिन तेजस्वी ने सबको ठिकाने लगा दिया है. क्योंकि वह किसी भी सूरत में अपने परिवार के अंदर किसी तरह की चुनौती नहीं चाहते हैं.
सिर्फ अपने चेहरे पर चुनाव में जाना चाहते हैं तेजस्वी
दरअसल तेजस्वी यादव के लिए बिहार का इस बार का विधानसभा चुनाव लिटमस टेस्ट है. वह इस बार अपनी ताकत आजमाना चाहते हैं. वह खुद को लालू यादव का सच्चा उत्तराधिकारी साबित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
इस बार तेजस्वी यादव जहां जदयू और भाजपा जैसे अपने बाहरी विरोधियों को ताकत दिखाने में जुटे हैं. वहीं घर के अंदर के सत्ता के दावेदारों को भी पोस्टरों के जरिए चुप कराने की कोशिश कर रहे हैं.
लेकिन उनकी कोशिशें कितनी सफल होती हैं. ये बिहार की जनता चुनाव के बाद ही बताएगी.
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