नई दिल्ली: Uttarakhand Lok Sabha Election Myth: देश के कई राज्य ऐसे हैं जहां पर राजनीतिक मिथक हैं. जैसे यूपी में मिथक था कि चुनाव प्रचार में कोई नोएडा जाता है तो उसकी पार्टी हार जाती है. लेकिन योगी आदित्यनाथ ने ये मिथक तोड़ा. इसी तरह उत्तराखंड में एक मिथक था कि राज्य में जिसकी सरकार होगी, लोकसभा के चुनाव में उसे हार झेलनी पड़ती है. लेकिन 2019 में भाजपा ने यह मिथक तोड़कर दिखाया.
2004 का लोकसभा चुनाव
उत्तर प्रदेश से अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में चार लोकसभा चुनाव हुए हैं. पहला चुनाव साल 2004 में हुआ. उस दौरान यहां पर कांग्रेस का शासन था. एनडी तिवारी CM थे. 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल नैनीताल सीट ही जीत पाई. राज्य की बाकी 4 सीटें हार गई.
2009 का लोकसभा चुनाव
2009 में उत्तराखंड में भाजपा की सरकार थी, रिटायर्ड जनरल बीसी खंडूड़ी मुख्यमंत्री थे. 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पांचों सीटें हार गई.
2014 का लोकसभा चुनाव
2014 में प्रदेश में कांग्रेस का शासन था, हरीश रावत राज्य के मुख्यमंत्री थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में देश में मोदी लहर हावी थी. प्रदेश की पांचो सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की. कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई.
2019 के लोकसभा चुनाव में टूटा मिथक
फिर आया 2019 का लोकसभा चुनाव, जिसमें उत्तराखंड का सबसे बड़ा राजनीतिक मिथक टूट गया. राज्य में भाजपा की सरकार थी, त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री थे. भाजपा ने प्रदेश की पांचो सीटों पर जीत दर्ज की.
2024 में दोबारा टूटेगा राजनीतिक मिथक?
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा इस मिथक को दूसरी बार तोड़ती है या नहीं, या देखना होगा. हालांकि, Zee News-Matrize ओपिनियन पोल में राज्य की सभी 5 सीटों पर भाजपा की जीत मानी जा रही है. भाजपा ने इस बार राज्य की 5 सीटों पर जीत के लक्ष्य के अलावा, 75% वोट शेयर पाने का टारगेट भी तय किया है.
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