नई दिल्ली. बिहार पुलिस मुंबई इसलिये भी पहुंची है क्योंकि मुंबई पुलिस ने अपना फर्ज ईमानदारी से नहीं निभाया. मुंबई पुलिस ने इस हाइप्रोफाइल डेथ मिस्ट्री को आत्महत्या बताने की हरसंभव कोशिश की लेकिन नाकाम रही. अब जांच के लिये मुंबई पहुंची बिहार पुलिस अपना काम पूरी शिद्दत से कर रही है. किन्तु काम आसान हो जाये इसके लिये थोड़ा सा अपनी जांच के तरीके में फर्क करना होगा बिहार पुलिस को.
माउन्ट ब्लैंक बिल्डिंग की तफ्तीश होनी चाहिए
मुंबई के बांद्रा स्थित कार्टर रोड पर बनी माउंट ब्लैंक बिल्डिंग में इंतजार कर रहे हैं तमाम वो सबूत जो ये भी बतायेंगे कि कत्ल किसने किया और ये भी समझायेंगे कि कत्ल कैसे हुआ. मौका ए वारदात है माउन्ट ब्लैंक बिल्डिंग. बिहार पुलिस को दुबारा जाना होगा सुशांत सिंह राजपूत की रिहाइश वाली इस इमारत में.
तीन तरह से दुबारा हो सारी पूछताछ
बिहार पुलिस को चाहिये कि सारी और जरूरी पूछताछ माउन्ट ब्लैंक बिल्डिंग में दुबारा से की जाये. ये पूछताछ दो तरह से की जाये. पहले तो सुशांत सिंह राजपूत के घर वाली इस बिल्डिंग की बाहर-बाहर सारी और दुबारा पूछताछ हो. चाहे सोसाइटी के गेट पर का वाच मैन हो, गेट पर लगा सीसीटीवी हो, गेट के सामने बनी बिल्डिंग का वाचमेन हो या गेट के सामने बनी बिल्डिंग का सीसीटीवी सब पर दुबारा पड़ताल की नजरें गड़ाई जायें.
सोसाइटी के जिम्मेदार लोगों से बात हो
सोसाइटी के जिम्मेदार लोगों से अलग-अलग बात की जाये और उनके बयानों के मिलान भी किये जायें. हत्या करने वालों ने अपना होमवर्क इतना अंदर तक शायद पुख्ता न किया हो. वैसे व्यावहारिक रूप से यह संभव भी नहीं है. सोसाइटी का आरडब्लुए अध्यक्ष, वाचमेन, सीसीटीवी अटेन्डेन्ट, आदि को तो होमवर्क में शामिल किया जा सकता है, वहां के रहने वालों को नहीं. कोल्ड ब्लडेड मर्डर के खास किरदार होमवर्क तैयार करके अपने काम को अंजाम देते हैं लेकिन होमवर्क हमेशा इम्परफेक्ट ही रह जाता है.
दूसरी तरह से ऐसे हो जांच
मौक़ा ए वारदात पर बिहार पुलिस को दुबारा जाना होगा. और यह मौक़ा ए वारदात है सुशांत का फ्लैट. सुशांत के फ्लैट में जा कर न केवल सुशांत के नौकरों से पुलिस को दुबारा अलग-अलग और नए सवालों के साथ पूछताछ करनी होगी. चूंकि ये पूछताछ इस बार मुंबई पुलिस नहीं बल्कि बिहार पुलिस करेगी, इसलिए बिहार पुलिस को थोड़ी नरमी और थोड़ी गर्मी - दोनों ही दिखानी होगी. पहले नरमी से विश्वास में लेकर अगर नौकरों, रसोइये और बॉडी गार्ड से दुबारा गहन पूछताझ की जाये तो कोई न कोई बड़ा सुराग लुढ़कता हुआ बाहर आ जायेगा क्योंकि ये लोग प्रोफेशनल झूठे गवाह नहीं होते.
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