नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट 31 अक्टूबर को उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें धनशोधन एवं कर चोरी जैसे विभिन्न आर्थिक अपराधों से संबंधित मामलों का फैसला साल भर के अंदर करने के लिए हर जिले में विशेष भ्रष्टाचार रोधी अदालतें स्थापित करने का अनुरोध किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में 31 अक्टूबर को सुनवाई
उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) की वेबसाइट पर अपलोड 31 अक्टूबर की वाद सूची के अनुसार, यह याचिका प्रधान न्यायाधीश यू. यू. ललित और न्यायमूर्ति एस. आर. भट्ट एवं न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आएगी.
वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका में अनुरोध किया गया है कि आर्थिक अपराधों से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए उचित कदम उठाने का उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया जाए. वकील अश्विनी कुमार दुबे के जरिए दायर जनहित याचिका में दलील दी गई है कि केंद्र और राज्य सरकारों ने भी इस दिशा में उचित कदम नहीं उठाए हैं. इसमें कहा गया है कि सरकार का कोई भी विभाग भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है.
याचिका में क्या कहा गया है? जानिए यहां
याचिका में कहा गया है कि लंबे समय से लंबित और अप्रभावी भ्रष्टाचार रोधी कानूनों के कारण, आजादी के 73 साल बाद और समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के 70 साल बाद भी, देश का कोई भी जिला काला धन, बेनामी संपत्ति, आय से अधिक संपत्ति, रिश्वतखोरी, धनशोधन, कर चोरी और इसी प्रकार के अन्य आर्थिक अपराधों से जुड़े मामलों से मुक्त नहीं है.
इसमें दलील दी गई है कि भारत के भ्रष्टाचार रोधी कानून काफी कमजोर और अप्रभावी हैं तथा वे भ्रष्टाचार पर काबू पाने में नाकाम रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि 1988 में पारित बेनामी लेनदेन कानून भी बिना कार्रवाई के धूल खा रहा है.
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