हिजाब विवाद पर SC के जज ने की ये टिप्पणी तो वकील बोले- 'मैं यहां बेवजह तर्क देने के लिए नहीं हूं'

सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बुधवार को कहा कि मुद्दा यह है कि एक विशेष समुदाय हिजाब पर जोर देता है, जबकि अन्य एक यूनिफॉर्म का पालन करते हैं. पीठ ने कहा कि पोशाक पहनने के अधिकार को एक अतार्किक अंत तक नहीं ले जाया जा सकता है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 7, 2022, 07:21 PM IST
  • 'एक समुदाय स्कार्फ पहनने पर दे रहा जोर'
  • गुरुवार को होगी मामले की अगली सुनवाई
हिजाब विवाद पर SC के जज ने की ये टिप्पणी तो वकील बोले- 'मैं यहां बेवजह तर्क देने के लिए नहीं हूं'

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बुधवार को कहा कि मुद्दा यह है कि एक विशेष समुदाय हिजाब पर जोर देता है, जबकि अन्य एक यूनिफॉर्म का पालन करते हैं. पीठ ने कहा कि पोशाक पहनने के अधिकार को एक अतार्किक अंत तक नहीं ले जाया जा सकता है.

याची ने अनुच्छेद 19 का दिया हवाला
एक मुस्लिम छात्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने प्रस्तुत किया कि पोशाक के अधिकार को अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है और कहा गया है कि अगर कोई हिजाब पहनकर स्कूल जाता है और उस व्यक्ति को अनुमति नहीं दी जाती, तो राज्य अनुच्छेद 19 का उल्लंघन करता है.

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने की मौखिक टिप्पणी
कामत ने न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि कर्नाटक सरकार छात्रों को उनकी पहचान और सम्मान और शिक्षा के अधिकार के बीच चयन करने के लिए मजबूर कर रही है. इस पर, न्यायमूर्ति गुप्ता ने मौखिक रूप से टिप्पणी की: "आप इसे एक अतार्किक अंत तक नहीं ले जा सकते हैं. पोशाक का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, तो फिर क्या कपड़े नहीं पहनने का अधिकार भी एक मौलिक अधिकार बन जाता है?"

याची के वकील बोले- स्कूल में अनड्रैसिंग नहीं हो रही
कामत ने उत्तर दिया: "मैं यहां बेवजह तर्क देने के लिए नहीं हूं. स्कूल में कोई अनड्रैसिंग नहीं हो रही है." न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि कोई भी पोशाक के अधिकार से इनकार नहीं कर रहा है. कामत ने तब कहा कि क्या इस अतिरिक्त पोशाक (हिजाब) को पहनना अनुच्छेद 19 के आधार पर प्रतिबंधित किया जा सकता है?

'एक समुदाय स्कार्फ पहनने पर दे रहा जोर'
न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि यहां समस्या यह है कि एक विशेष समुदाय सिर पर स्कार्फ पहनने पर जोर दे रहा है, जबकि अन्य समुदाय ड्रेस कोड का पालन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अन्य समुदायों के छात्र यह नहीं कह रहे हैं कि वे यह और वह पहनना चाहते हैं.

कामत ने कहा कि अगर कोई लड़की हिजाब पहनती है तो क्या राज्य इस पर रोक लगा सकता है?

गुरुवार को होगी मामले की अगली सुनवाई 
पीठ ने जवाब दिया: "कोई भी उसे हिजाब पहनने से मना नहीं कर रहा है .. लेकिन केवल स्कूल में." जब कामत ने अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका के विदेशी फैसलों का हवाला दिया, तो न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा, भारत आईए, यहां जैसी विविधता कही नहीं है. मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.

शीर्ष अदालत कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य के कॉलेजों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के शैक्षणिक संस्थानों के अधिकार को बरकरार रखा गया था.

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