नई दिल्ली. 2024 में केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए सरकार को पटखनी देने के लिए बने विपक्षी गठबंधन 'इंडिया'की सबसे अहम बैठक आज से मुंबई में शुरू होने जा रही है. मुंबई के होटल ग्रैंड हयात में यह दो दिवसीय बैठक आयोजित होगी. इस बैठक में करीब 28 राजनीतिक पार्टियों के नेता शामिल हो सकते हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव में एनडीए को पटखनी देने की 'मास्टर प्लानिंग' पर चर्चा कर सकते हैं.
इस बैठक को सबसे अहम माने जाने के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं. पहला यह कि शुरुआती पटना की बैठक में कम दल शामिल हुए थे जो बाद में बेंगलुरु की बैठक में बढ़े. साथ ही मुंबई में कुछ और दल भी शामिल हो सकते हैं. शुरुआती बैठकों में मुख्य विपक्षी पार्टियों को एक मंच लाने का मकसद कामयाब होता दिखा है. लेकिन इन सबके बीच अहम मुद्दों पर बातचीत टलती आ रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि मुंबई की बैठक से कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा शुरू हो सकती है, जिन पर 'एक राय' मजबूत विपक्षी गठबंधन के लिए बेहद जरूरी है.
1-सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर हो सकती है चर्चा
2024 में एनडीए को सत्ता से हटाने के लिए विपक्षी गठबंधन में सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर एक सर्वमान्य रणनीति बनना बेहद जरूरी है. सीट बंटवारे की प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए जो सभी को मान्य हो और इसके बाद सभी दल 'एक मन' से चुनावी तैयारियों में लग सकें. बेंगलुरु में हुई दूसरी बैठक के बाद दिल्ली में आप और कांग्रेस के बीच मतभेद भी सामने आ चुके हैं. राज्य के स्तर पर पार्टियों के बीच तनाव की स्थिति अन्य राज्यों में भी है जिसमें पश्चिम बंगाल और केरल प्रमुख हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैठक से पहले कह भी चुके हैं कि इस बार सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर चर्चा होगी.
2-अहम पदों को लेकर होगी बातचीत
गठबंधन को सुचारू रूप से चलाने के लिए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संयोजक जैसे पदों को लेकर भी चर्चा होगी. गठबंधन में सभी पार्टियों के बीच समन्वय हो इसके लिए जरूरी है कि एक ऐसा नेता चुना जाए जिसकी बात सभी मानें. ऐसे पद पर नेताओं के चुनाव को लेकर भी दलों को माथापच्ची करनी होगी. गठबंधन में पद के साथ दलों की अहमियत भी जुड़ी होती है, ऐसे में सभी पार्टियों को इस सिलसिले में फूंक-फूंक कर कदम उठाना होगा.
3-संयोजक के अहम पद पर चर्चा संभव
किसी भी गठबंधन को चलाने के लिए संयोजक के पद की सबसे अहम भूमिका होती है. माना जा रहा है कि मुंबई की बैठक में संयोजक के पद के लिए भी किसी नेता का चुनाव किया जा सकता है. इस पद के लिए एक ऐसे नेता को चुनना होगा जिसके सभी पार्टियों के साथ बेहतर संबंध हों और वह विपरीत परिस्थितियों में सामंजस्य बिठाने में माहिर हो.
4-पार्टियों के मतभेदों पर भी हो सकती है बातचीत
बैठक में पार्टियों के बीच मतभेदों पर भी चर्चा हो सकती है. जैसे दिल्ली में हाल में आप और कांग्रेस के बीच हुए मतभेद को लेकर. या फिर पश्चिम बंगाल में टीएमसी, कांग्रेस, और सीपीएम संबंधों को लेकर. हालांकि पार्टियों की सीनियर लीडरशिप की तरफ से ग्राउंड में कार्यकर्ताओं को संदेश है कि यह गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर यानी लोकसभा चुनाव को लेकर है. लेकिन कार्यकर्ताओं तक इस संदेश को स्पष्ट रूप से पहुंचाना भी पार्टी लीडरशिप की जिम्मेदारी होगी. क्योंकि कई राज्यों में ऐसी पार्टियां गठबंधन का हिस्सा हैं जिनके कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर एक-दूसरे के खिलाफ और विरोध में वोट मांगते रहे हैं.
5-पार्टियों के भितरघात पर भी हो सकती है वार्ता!
इसके अलावा पार्टियों में टूट को लेकर भी बैठक में चर्चा हो सकती है. यह बैठक महाराष्ट्र में हो रही है और ये ऐसा राज्य है जहां पर विपक्षी गठबंधन की दो अहम पार्टियों में टूट हो चुकी है. पहली शिवसेना और हाल मे एनसीपी में हुई टूट. दोनों पार्टियां अभी दो गुटों में बंटी हुई हैं. ऐसे में पार्टियों में भितरघात का मुद्दा भी चर्चा का हिस्सा बन सकता है.
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