बिहार में करीब 96 फीसदी लोगों के पास कोई वाहन नहीं, रिपोर्ट में हुए कई हैरान करने वाले खुलासे

बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में मंगलवार को पेश की गई उक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के 13.07 करोड़ लोगों में से 12.48 करोड़ लोगों के पास कोई वाहन नहीं है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 8, 2023, 08:27 PM IST
  • जानिए इस रिपोर्ट से जुड़ी खास बातें
  • इन बातों को लेकर हुए खुलासे
बिहार में करीब 96 फीसदी लोगों के पास कोई वाहन नहीं, रिपोर्ट में हुए कई हैरान करने वाले खुलासे

नई दिल्लीः बिहार के 95.49 प्रतिशत लोगों के पास कोई वाहन नहीं है जबकि केवल 3.8 प्रतिशत के पास दोपहिया वाहन हैं और 0.11 प्रतिशत के पास कारें हैं. बिहार जाति सर्वेक्षण की विस्तृत रिपोर्ट जिसमें प्रदेश से पलायन पर भी प्रकाश डाला गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि 45.78 लाख लोग दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं जबकि 2.17 लाख लोग विदेश में हैं. 

जानिए रिपोर्ट में क्या खुलासे हुए
बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में मंगलवार को पेश की गई उक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के 13.07 करोड़ लोगों में से 12.48 करोड़ लोगों के पास कोई वाहन नहीं है. केवल 49.68 लाख लोगों या लगभग 3.8 प्रतिशत आबादी के पास दोपहिया वाहन है जबकि सिर्फ 5.72 लाख लोगों या 0.11 प्रतिशत आबादी के पास चार पहिया वाहन हैं. रिर्पोट के अनुसार केवल 1.67 लाख लोगों या 0.13 प्रतिशत के पास ट्रैक्टर हैं. 

दूसरे देशों में काम करने वालों की संख्या जानिए
रिर्पोट के मुताबिक सामान्य वर्ग के 2.01 करोड़ लोगों में से कुल 11.99 लाख के पास दोपहिया वाहन हैं. विदेश गए 2.17 लाख लोगों में से 23,738 लोग उच्च शिक्षा अर्जित कर रहे हैं. दूसरे देशों में काम करने वालों में 76,326 लोग सामान्य वर्ग के हैं. इसी तरह बिहार के 45,78,669 लोग यानी आबादी का 3.5 फीसदी लोग दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं. बिहार सरकार ने मंगलवार को विधानमंडल में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अत्यंत पिछड़ा वर्ग की 215 जातियों की आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट पेश की थी.

उधर, बिहार विधानसभा में मंगलवार को पेश की गई जाति सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में रहने वाले एक तिहाई से अधिक परिवार गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं और उनकी मासिक आय छह हजार रुपये या उससे कम है. रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया कि सवर्ण जातियों में काफी गरीबी है. हालांकि, पिछड़े वर्गों, दलितों और आदिवासियों में यह प्रतिशत अनुमानतः काफी अधिक है.

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