नई दिल्लीः जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करके देश की राजनीति में नई बहस पैदा करने वाले बिहार में अब एससी-एसटी बच्चों के स्कूल सामान्य स्कूलों से अलग होंगे. इनका विलय नहीं किया जाएगा. दरअसल राज्य में एससी-एसटी छात्रों के लिए अलग से स्कूल चल रहे हैं. लेकिन पिछले कुछ समय से इन स्पेशल स्कूलों का सामान्य स्कूलों की बिल्डिंग के साथ मर्जर किया जा रहा है. लेकिन अब ये स्कूल मर्ज नहीं होंगे.
जमीनें खोजकर बनेंगी इमारतें
बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने यह आदेश जारी किया है. उन्होंने सभी जिलों से इस तरह के स्कूलों की रिपोर्ट मांगी है और वंचित बच्चों के स्कूलों को मूल स्कूलों से अलग करने का निर्देश दिया है. राज्य में 2661 एससी-एसटी स्कूलों को मर्ज कर दिया गया था. इनमें से अब 998 स्कूलों को अलग कर दिया गया है. जमीनें खोजकर स्कूलों की इमारत का निर्माण शुरू किया जाएगा.
कई स्कूलों को नहीं मिली हैं जमीनें
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन स्पेशल स्कूलों को सामान्य स्कूलों के साथ मिलाकर चलाया जा रहा था. इसकी वजह इन स्कूलों के लिए इमारतें बनाने के लिए जमीनों की कमी थी. भूमिहीन स्कूलों का मर्जर उनके मूल स्कूलों के साथ कर दिया गया था. अब इनमें से कई स्कूलों को जमीनें मिल गई हैं. इन पर स्कूल बनाए जा सकते हैं. हालांकि अभी भी कई स्कूल ऐसे हैं जहां सरकारी मानदंडों के अनुसार जमीन नहीं मिली है. इस कारण स्कूलों की इमारत का निर्माण नहीं हो सका है.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एससी-एसटी समुदाय की विशेष पहचान और सामाजिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखकर ये फैसला लिया गया है.
चुनाव से पहले अहम फैसला
बता दें कि बिहार सरकार ने पिछले साल जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक किए थे. इसमें राज्य के अंदर प्रत्येक जाति की आबादी के जुटाए गए आंकड़े सार्वजनिक किए गए थे. राज्य में महागठबंधन में रहते हुए नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना करवाई थी लेकिन उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया था. अब राज्य में चल रहे एससी-एसटी स्कूलों का सामान्य स्कूलों के साथ विलय न करने का फैसला काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि राज्य में अगले साल चुनाव भी होने हैं.
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