नई दिल्लीः कई दिनों तक चले हाईवोल्टेज सियासी ड्रामे और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों के बाद बीते 30 जून को एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए थे. शिवसेना के नाराज विधायकों के पहले सूरत फिर गुवाहाटी जाने के बीच उद्धव ठाकरे पक्ष की तरफ से जमकर बयानबाजी हुई थी.
जय श्री राम! जय सिया राम!
नाशिक येथील काळाराम मंदिरामध्ये प्रभू श्रीरामजींचे दर्शन घेतले pic.twitter.com/XTqruseYGo
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) July 22, 2022
ठाकरे पर लगे थे कई आरोप
इन बयानों की अगुवाई संजय राउत कर रहे थे. इसके जवाब में शिंदे गुट की तरफ से भी जवाब दिए गए थे. तब ठाकरे परिवार पर कई आरोप लगाए गए थे, जिनमें एक यह भी था कि शिवसेना के विधायकों के अयोध्या जाने से रोका गया. अयोध्या यानी जहां इस वक्त भव्य राम मंदिर का निर्माण चल रहा है. पब्लिक परसेप्शन में यह आरोप ठाकरे परिवार की राजनीति को काफी नुकसान पहुंचाने वाला था क्योंकि खुद बालासाहेब ठाकरे राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े समर्थकों में से एक थे.
उद्धव गुट ने भी दिया था जवाब
हालांकि, इन आरोपों के बीच उद्धव ठाकरे की तरफ से हिंदुत्व को लेकर जवाब भी दिया गया था. उद्धव गुट के बयानों का लब्बोलुआब यही था कि उन्हें किसी से हिंदुत्व का पाठ सीखने की जरूरत नहीं है. लेकिन अब सरकार गंवा चुके और पार्टी पर प्रभुत्व की लड़ाई लड़ रहे ठाकरे परिवार की तरफ से बड़ा संदेश दिया गया है. दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा में विधायक और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने अपने ट्विटर पर एक ट्वीट में लिखा है- 'जय श्री राम! जय सिया राम!'
हिंदी में किया गया ट्वीट
इस ट्वीट की दिलचस्प बात ये है कि इसमें 'जय श्री राम! जय सिया राम!' हिंदी में लिखा गया है. इसके बाद मराठी में जानकारी दी गई है कि उद्धव ठाकरे ने आज नासिक के कालाराम मंदिर में प्रभु श्रीराम के दर्शन किए. ट्वीट के साथ कई तस्वीरें पोस्ट की गई हैं, जिनमें कुछ मंदिर के भीतर की हैं और कुछ आदित्य की रैली और रोड शो की.
प्रभुत्व की लड़ाई लड़ रही शिवसेना
हालांकि, यह ट्वीट वैसे तो सामान्य है, लेकिन हिंदी में लिखे जय श्री राम के गहरे निहितार्थ हैं. कह सकते हैं कि आदित्य ठाकरे ने हिंदी में यह ट्वीट कर उत्तर भारत में भी एक संदेश देने की कोशिश की है. साथ ही यह संदेश भारतीय जनता पार्टी के लिए भी है. कुछ दशक पहले तक बीजेपी को उत्तर भारत की पार्टी भी कहा जाता था. इसके मद्देनजर उत्तर भारत में हिंदी के जरिए एक संदेश देने की कोशिश की गई है. यही नहीं अब जल्द ही मुंबई महानगर पालिका यानी बीएमसी के चुनाव होने वाले हैं. इनमें भी शिवसेना को अपना 37 वर्षों से चला आ रहा राज कायम रखना है. दूसरी तरफ पार्टी चुनाव आयोग में भी अपने प्रभुत्व की लड़ाई लड़ रही है. यानी ठाकरे परिवार के सामने कई चुनौतियां हैं.
ऐसे में संभव है कि ठाकरे परिवार अब एक बार फिर अपने पुराने हिंदुत्व के स्टैंड पर वापस आने के संकेत दे रहा है. साथ ही उद्धव ठाकरे के सामने यह भी चुनौती है कि वो आदित्य ठाकरे को अपने राजनीतिक वारिस के तौर पर स्थापित करें. यही कारण है कि अब आगे हिंदुत्व के स्टैंड पर आदित्य ठाकरे ज्यादा मुखर नजर आएं.
हनुमान चालीसा विवाद में भी हुई थी किरकिरी
सरकार जाने से ठीक पहले हनुमान चालीसा विवाद में भी उद्धव सरकार की अच्छी-खासी किरकिरी हुई थी. इस मसले में ठाकरे परिवार के ही सदस्य राज ठाकरे ने भी बड़ी रैली थी. एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद राज ठाकरे ने बधाई भी दी थी. यानी कि आम लोगों की निगाह में ठाकरे परिवार से जुड़े एक प्रभावशाली व्यक्ति का समर्थन भी शिंदे सरकार को हासिल है.
आदित्य ठाकरे लगा रहे कई निशाने
यही कारण है कि 'श्री राम' का उद्घोष कर आदित्य ठाकरे एक तीर से कई शिकार करते दिख रहे हैं. यानी वो न सिर्फ अपने पुराने स्टैंड पर वापस आते दिख रहे हैं बल्कि आगे के चुनाव की भी तैयारी करते दिख रहे हैं. ठाकरे परिवार भी जानता है कि उसकी राजनीति अब तक मराठी मानुष, हिंदुत्व, और राष्ट्रवादी स्टैंड पर टिकी रही है. ऐसे में ठाकरे परिवार की तरफ से हर वह कदम उठाया जा सकता है, जिससे उसकी मुश्किलें आसान हो. शायद आदित्य ठाकरे का आज का ट्वीट इसी अभियान की पहली कड़ी है.
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