नई दिल्ली: कांग्रेस ने सेना में भर्ती की नई 'अग्निपथ' योजना को शुक्रवार को 'राजनीतिक निर्णय' करार दिया और दावा किया कि इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'चुप्पी' उन सभी युवाओं का अपमान है, जो अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं.
अग्निपथ योजना को वापस लेने की मांग
मुख्य विपक्षी दल ने एक बार फिर यह मांग की कि इस योजना को वापस लिया जाए, क्योंकि यह राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने उस खबर हवाला देते हुए प्रधानमंत्री पर निशाना साधा, जिसमें कथित तौर पर कहा गया है कि सेना के एक मानद कैप्टन के अनुसार, 'अग्निपथ' योजना सेना को बर्बाद कर देगी.
उन्होंने ट्वीट किया, 'एक तरफ देश के परमवीर हैं और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री का घमंड और तानाशाही. क्या 'नए भारत' में सिर्फ 'मित्रों' की सुनवाई होगी, देश के वीरों की नहीं?'
एक तरफ़ देश के परमवीर हैं और दूसरी तरफ़ प्रधानमंत्री का घमंड और तानाशाही।
क्या ‘नए भारत’ में सिर्फ़ ‘मित्रों’ की सुनवाई होगी, देश के वीरों की नहीं? pic.twitter.com/mHKU5XKIub
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 24, 2022
देश को अंजाम भुगतने की कही बात
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने 50 हजार युवाओं की भर्ती पक्रिया आगे बढ़ने के बाद भी 'अग्निपथ' के कारण रद्द किए जाने के दावे वाली खबर को लेकर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'दिल्ली की तख़्त से बिना सोचे समझे देते हैं फरमान- देश और युवकों को भुगतना पड़ता है इसका अंजाम!'
कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह ने मीडिया से कहा, 'इस योजना से देश की सुरक्षा को नुकसान होगा और इसके साथ ही यह युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाली है.'
उनके मुताबिक, '50 हजार युवा दौड़ और मेडिकल में पास हो गए थे. इस नई योजना के आने के बाद इनके साथ धोखा हुआ है. उनकी पूरी भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी गई है. अब इन्हें नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया में भाग लेना होगा. पहले राज्यों का एक विशेष कोटा होता था. अब वह कोटा नहीं होगा.' उन्होंने दावा किया कि अगर युद्ध की परिस्थिति में दो तरह के सैनिक होंगे, तो यह खतरनाक स्थिति हो सकती है.
'अग्निपथ योजना एक राजनीतिक निर्णय'
कांग्रेस नेता ने यह दावा भी किया, 'अग्निपथ का यह निर्णय एक राजनीतिक निर्णय है. न तो किसी सैनिक ने योजना बनाई है और न ही सेना इस निर्णय के पक्ष में थी.' उन्होंने कहा, 'हमारी मांग है कि इस योजना को तत्काल वापस लिया जाए क्योंकि यह राष्ट्रीय हितों और युवाओं के भविष्य के खिलाफ है. इस मामले पर प्रधानमंत्री की चुप्पी उन युवाओं का अपमान है, जो अपने वाजिब हक के लिए लड़ रहे हैं.'
सेना के पूर्व अधिकारी मानवेंद्र सिंह ने यह आरोप लगाया कि प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) की पात्रता से जुड़े दायरे का विस्तार किया गया, जिससे यह स्पष्ट है कि सरकार को तीनों सेनाओं के प्रमुखों पर भरोसा नहीं है.
गौरतलब है कि अग्निपथ योजना 14 जून को घोषित की गई थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल की उम्र के युवाओं की केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. चार साल बाद इनमें से केवल 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा को नियमित किया जाएगा. इस योजना के खिलाफ कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन होने के बीच सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया है.
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