'सिंधिया पर हमला'...खैर, यह तो कांग्रेस की पुरानी नीति रही है

टूट-फूट दिलों, दलों और सरकारों तक ही रहे तो इसे माना भी जाए, लेकिन कांग्रेस की टूट-फूट एक कदम आगे बढ़कर तोड़ने-फोड़ने की ओर मुड़ जाती है. विधायकों को जोड़े रखने में असफल हो रही कांग्रेस इस वक्त बगावत से जूझ रही है. ऐसे में बौखलाहट है कि करें तो क्या करें. बीते कुछ मामले ऐसे आए हैं जहां कांग्रेस नेताओं ने आपा खो दिया और हिंसात्मक रवैये पर उतर आए

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 14, 2020, 05:18 PM IST
'सिंधिया पर हमला'...खैर, यह तो कांग्रेस की पुरानी नीति रही है

भोपालः मध्य प्रदेश में पनपा सियासी भूचाल 'जानलेवा' होने की सूरत पर उतर आया है. कम से कम ताजा घटनाक्रम तो यही दावा कर रहे हैं. पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अभी-अभी भाजपा में शामिल ज्योतिरादित्य सिंधिया पर मध्य प्रदेश में जानलेवा हमला किए जाने का आरोप लगाया है. उन्होंने इसके लिए कांग्रेस को निशाने पर लिया है. खैर, इस वक्त कांग्रेस बौखलाई नजर आ रही है. क्योंकि पिछले दो लोकसभा चुनावों में उन्हें करारी हार मिली है. तो गिने-चुने राज्यों में बनी सरकारें शीर्ष नेतृत्व के अहम के आगे टिक नहीं पा रही हैं. लिहाजा पांच-छह महीने में ही टूट-फूट और सरकार गिरना. 

लेकिन यह टूट-फूट दिलों, दलों और सरकारों तक ही रहे तो इसे माना भी जाए, लेकिन कांग्रेस की टूट-फूट एक कदम आगे बढ़कर तोड़ने-फोड़ने की ओर मुड़ जाती है. विधायकों को जोड़े रखने में असफल हो रही कांग्रेस इस वक्त बगावत से जूझ रही है. एमपी का हाल सबके सामने है, राजस्थान को लेकर कांग्रेस का डर सबसे छिपा नहीं है. ऐसे में बौखलाहट है कि करें तो क्या करें. बीते कुछ मामले ऐसे आए हैं जहां कांग्रेस नेताओं ने आपा खो दिया और हिंसात्मक रवैये पर उतर आए. सवाल उठता है कि सिंधिया पर हमला भी क्या इसी बौखलाहट का परिणाम को नहीं..

जीतू पटवारी का वीडियो हुआ था वायरल
एमपी कांग्रेस में ही मंत्री हैं, जीतू पटवारी. इस वक्त प्रदेश में उनके पास अहम जिम्मेदारी है. वह युवा कल्याण और उच्च शिक्षा मंत्री का पद संभाल रहे हैं. इसके अलावा कमलनाथ पर आए संकट को दूर करने में भी जरूरी भूमिका निभाने की कोशिश में लगे हैं. इसी कोशिश के सिलसिले में वह दो दिन पहले बेंगलुरू पहुंचे थे. दरअसल वह जिम्मेदारी लेकर गए थे कांग्रेस के नाराज 22 विधायकों को मना कर ले आएंगे, लेकिन हो गया उल्टा. वह विधायकों से मिल ही नहीं पाए.

बस इसी खुन्नस में उनकी पुलिस कर्मियों से झड़प हो गई और मामला सुर्खियों में आ गया. फिर जो-जो हुआ सबने देखा. जीतू इसके पहले भी चर्चा में आ चुके हैं. जब कुछ महीने पहले ही अपने ही कार्यकर्ता को लात मार दी थी. इसका भी वीडियो वायरल हो गया था. 

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कर्नाटक में तो खुद ही भिड़ चुके हैं कांग्रेसी
पिछले साल जब कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का संकट वाला दौर चल रहा था, उस दौरान भी मारपीट का मसला सामने आया था. इस दौरान तो दो कांग्रेसी ही आपस में भिड़ गए थे.  हुआ यूं कि बेंगलुरु के एक रिजॉर्ट में कांग्रेस विधायक जेएन गणेश ने आनंद सिंह के सिर पर बोतल से कथित तौर पर हमला कर दिया था. हालांकि कांग्रेस इस मामले को दबाने की कोशिश में लगी रही, लेकिन सच सामने आ ही गया था. दोनों नेताओं के बीच झगड़े की वजह थी कि आनंद सिंह का आरोप था कि जेएन गणेश भाजपा में जाने की योजना में हैं. इसी को लेकर उन्होंने झगड़ा शुरू कर दिया था. 

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सिंधिया की गाड़ी रोकने की कोशिश हुई'' 
शिवराज सिंह चौहान ने आरोप लगाया कि हमले के साथ ही कांग्रेसियों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की गाड़ी को रोकने का भी प्रयास किया गया. उन्होंने रोष प्रकट करते हुए बताया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया किसी तरह से अपनी जान बचाकर निकलने में कामयाब रहे. शिवराज ने कहा कि मध्य प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बहुत बिगड़ गई है. अराजकता फैली हुई है और ऐसे में भाजपा अपने नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हुए जानलेवा हमले की जांच की मांग करती है. खैर. यह तो कांग्रेस की नीति रही है कि जिससे सहमति न हों, उसके साथ हिंसक व्यवहार हो. यहीं आकर कांग्रेस का अहिंसा का दंभ टूटता दिखता है. 

 

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