Baba Siddique Death: गोली लगने के बाद बाबा सिद्दीकी के आखिरी शब्द क्या थे?

Baba Siddique Last words: बाबा सिद्दीकी (जियाउद्दीन सिद्दीकी) दक्षिण मुंबई के एक साधारण परिवार से थे, जहां उनके पिता कलाई घड़ियों की मरम्मत का काम करते थे, लेकिन उनका रुझान राजनीति की ओर था. वह बड़े नेता बने और हाल ही में उनकी हत्या कर दी गई.  

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Oct 17, 2024, 02:40 PM IST
  • राजनेता को गोली लगी तो उनके अंतिम शब्द क्या थे?
  • दो गोलियां सिद्दीकी के सीने में लगीं
Baba Siddique Death: गोली लगने के बाद बाबा सिद्दीकी के आखिरी शब्द क्या थे?

Baba Siddique News:  तीन लोग, हथियारों से लैस मुंबई की सड़कों पर अचानक हमला करने लग जाते हैं. उनके निशाने पर होते हैं महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी. हमले में बाबा सिद्दीकी की जान चली गई. जब राजनेता को गोली लगी तो उनके अंतिम शब्द थे, 'मुझे गोलियां लगी हैं, मैं बचूंगा नहीं. मैं मर जाऊंगा.'

एनसीपी कार्यकर्ताओं ने हत्या और उसके बाद के क्षणों के बारे में बताया. गोलियां लगने के बाद सिद्दीकी को इलाज के लिए लीलावती अस्पताल ले जाया गया था. एक पार्टी कार्यकर्ता ने बताया कि 12 अक्टूबर को नमाज पढ़ने के बाद सिद्दीकी के बेटे जीशान ने अपने पिता को बताया कि वह खाना खाने के लिए चेतना कॉलेज जा रहे हैं.

सिद्दीकी ने जवाब दिया कि वह अपना काम पूरा करके दो से तीन मिनट में चले जाएंगे. फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, पिता-पुत्र ने रविवार को नौपाड़ा में एक नए प्रोजेक्ट के उद्घाटन के लिए एक बैठक की योजना बनाई थी.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जैसे ही बाबा सिद्दीकी पार्टी कार्यकर्ताओं, एक पुलिस अंगरक्षक और एक ड्राइवर के साथ कार्यालय से निकले, उनकी कार के पास पहुंचते ही शूटरों ने उन पर गोलियां चला दीं. रिपोर्ट में बताया गया है कि दो गोलियां सिद्दीकी के सीने में लगीं और एक गोली वहां खड़े एक व्यक्ति के पैर में लगी.

बाबा सिद्दीकी का जीवन
बाबा सिद्दीकी, जिनका असली नाम जियाउद्दीन सिद्दीकी था, उनकी शुरुआत साधारण थी. उनके पिता दक्षिण मुंबई के फोर्ट में एक स्टॉल पर कलाई घड़ियां ठीक करते थे, लेकिन युवा सिद्दीकी राजनीति की ओर आकर्षित हुए.

किशोरावस्था में, वे 1977 में कांग्रेस की छात्र शाखा, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) में शामिल हो गए. बाद में वे इसके मुंबई अध्यक्ष चुने गए और 1988 में मुंबई युवा कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त किए गए.

सिद्दीकी दिवंगत अभिनेता से राजनेता बने और मुंबई-उत्तर पश्चिम से सांसद (MP) सुनील दत्त के करीबी थे, जिनकी बहुत अच्छी छवि थी. सिद्दीकी दत्त परिवार के विश्वासपात्र थे और उन्हें अक्सर संजय और प्रिया दत्त के साथ देखा जाता था, जो अपने पिता की मृत्यु के बाद सांसद बनीं. सिद्दीकी की मुख्यधारा की राजनीति में शुरुआत 1992 में हुई, जब वे पहली बार नगर निगम पार्षद चुने गए. वे 1999 में बांद्रा पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने. उन्होंने 2004 और 2009 में दो और कार्यकाल पूरे किए.

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