BJP के हर बड़े नेता ने जमीन से की शुरुआत, पढ़ें- 11 सबूत

भारतीय जनता पार्टी को 41 वर्ष पूरे हो चुके हैं, दो सांसद वाली पार्टी आज देश पर पूर्ण बहुमत से शासन कर रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि ये पार्टी जमीन से जुड़े नेताओं पर भरोसा जताती है और ग्राउंड लेवल पर काम करती है.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Apr 6, 2021, 07:30 AM IST
  • भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है उसकी जमीनी पकड़
  • भाजपा ने जमीन से जुड़े नेताओं पर ही जताया भरोसा
BJP के हर बड़े नेता ने जमीन से की शुरुआत, पढ़ें- 11 सबूत

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने 41 वर्षों में राजनीति में हर नामुकिन शब्द को मुमकिन करके दिखाया है. इसके पीछे उसकी जमीनी सोच ने अहम भूमिका निभाई. भाजपा का जमीन से जुड़े रहने का नाता 1980 से ही बरकरार रहा है. इतिहास गवाह है कि भाजपा ने जमीन से जुड़े नेताओं पर ही भरोसा जताया और यही BJP की सबसे बड़ी ताकत बनी.

भाजपा की जमीनी ताकत के 11 सबूत

हमेशा से ही भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी के तौर पर जानी जाती रही है. अबतक के सभी भाजपा अध्यक्षों ने अपने सियासी सफर की शुरुआत जीमन से ही की थी. 1980 के बाद से भाजपा के सभी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जमीनी स्तर पर काम किया और पार्टी ने उन्हें सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंपी. भाजपा एक जमीन से जुड़ी राजनीतिक पार्टी है. इसके सबसे बड़े सबूत 11 वो शख्स हैं, जिन्होंने पार्टी की कमान संभाली.

सबूत नंबर 1: अटल बिहारी वाजपेयी
(1980-1986)

अटल बिहारी वाजपेयी नाम की शख्सियत किसी परिचय की मोहताज नहीं है. 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में जन्में अटल एक सामान्य परिवार से नाता रखते थे. वैसे तो वाजपेयी ने अपने करियर की शुरुआत एक पत्रकार के तौर पर की थी. उनकी राष्ट्रप्रेम और सेवा की भावना ने उन्हें सियासी गलियारों में एक ताकतवर शख्स और कर्मठ राजनेता के तौर पर स्थापित कर दिया. उन्होंने जनसंघ, भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाई. साल 1980 में भाजपा की स्थापना के समय वो पहले अध्यक्ष चुने गए. वो भाजपा की तरफ से पहले प्रधानमंत्री बने. इतना ही नहीं अटल बिहारी वाजपेयी को 3 बार देश के प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी संभालने का अवसर मिला.

सबूत नंबर 2: लालकृष्ण आडवाणी
(1986-1991)
(1993-1998)
(2004-2005)

8 नवंबर 1927 को पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में जन्म लेने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने महज 14 साल की उम्र में ही अपना जीवन देश के नाम कर दिया. आडवाणी ने भले ही 1947 में भारत की आजादी का जश्न नहीं मना पाया, लेकिन वो देश के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए हमेशा तैयार रहे. इसके पीछे की वजह ये थी कि आजादी के कुछ ही घंटों बाद आडवाणी को पाकिस्तान से अपना घर छोड़कर भारत रवाना होना पड़ा था. भारतीय जनता पार्टी में आडवाणी की अहमियत इससे समझी जा सकती है कि वो सबसे ज्यादा समय तक पार्टी के अध्यक्ष बने रहे हैं. उन्होंने तीन बार भाजपा अध्यक्ष पद संभाला. उन्होंने भी जमीन से ही अपने जीवन की शुरुआत की थी.

सबूत नंबर 3: डॉ. मुरली मनोहर जोशी
(1991-1993)

महज 10 साल की उम्र में RSS से जुड़ने वाले डॉ. मुरली मनोहर जोशी का जन्म 5 जनवरी 1934 को हुआ था. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ही उन्‍होंने डॉक्‍टरेट की उपाधि प्राप्‍त की. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बाद 1949 में जोशी ने ABVP का दामन थाम लिया. वर्ष 1957 में मुरली मनोहर जोशी जनसंघ में शामिल हुए थे. इसके बाद वो BJP के तीसरे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए, वर्ष 1991 से 1993 तक उन्होंने भाजपा का नेतृत्व किया.

सबूत नंबर 4: कुशाभाऊ ठाकरे 
(1998-2000)

15 अगस्त 1922 को मध्य प्रदेश के धार इलाके में जन्म लेने वाले कुशाभाऊ ठाकरे का सबसे बड़ा सौभाग्य था कि जिस तारीख को उनका जन्म हुआ, उसी तारीख को भारत देश को आजादी मिली. कुशाभाऊ वर्ष 1942 में वो संघ से जुड़े थे. उन्होंने जनसंघ, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में एक कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की थी. एक जमीनी स्तर से अपनी सियासी सफर की शुरुआत करने वाले कुशाभाऊ को वर्ष 1998 में भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था.

सबूत नंबर 5: बंगारू लक्ष्मण
(2000-01)

17 मार्च 1939 को आन्ध्र प्रदेश के हैदराबाद में एक सामान्य परिवार में जन्म लेने वाले बंगारू लक्ष्मण भी जमीन से जुड़े नेता रहे. वर्ष 1951 में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़कर सेवा देनी शुरू की. दो सरकारी नौकरियां छोड़कर वो भाजपा में कई अहम पद पर नियुक्त हुए. वर्ष 2000 में उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया.

सबूत नंबर 6: के. जना कृष्णमूर्ति
(2001-02)

के. जना कृष्णमूर्ति का जन्म 24 मई 1928 को तमिलनाडु के मदुरई में हुआ था. वो पेशे से एक वकील थे, लेकिन उन्होंने 1965 में सफल वकालत की प्रैक्टिस छोड़ दी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर राष्ट्र सेवा का संकल्प लिया. 1983 में उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया और इसके बाद उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का कार्यभार संभाला. जमीन से अपने सफर की शुरुआत करने वाले इस नेता को भी 14 मार्च 2001 को वो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया.

सबूत नंबर 7: वेंकैया नायडू
(2002-04)

आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव चावाटापलेम के एक सामान्य किसान परिवार में जन्म लेने वाले मुप्पावारापु वेंकैया नायडू ने काफी संघर्ष किया. 1 जुलाई 1949 को इस दुनिया में आने वाले नायडू आज देश के उपराष्ट्रपति हैं. वर्ष 1973-74 में वो आंध्र विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद उन्होंने भाजपा के कई अहम पदों पर काम किया. 1 जुलाई 2002 को उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया.

सबूत नंबर 8: नितिन गडकरी
(2010-13)

नितिन गडकरी का जन्म महाराष्ट्र के नागपुर शहर के एक मध्यवर्गीय किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने ABVP के नेता के तौर पर राजनीति में प्रवेश किया. उसके बाद वो भाजपा के युवा मार्चा में शामिल हो गए. उन्होंने भाजपा के कई पदों पर कार्य किया. महाराष्ट्र में वो 1995 से 1999 तक PWD मंत्री भी रहे. साल 2010 में उनको पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया. वेंकैया नायडू की पहचान हमेशा एक 'आंदोलनकारी' के रूप में रही है. वे 1972 में 'जय आंध्र आंदोलन' के दौरान पहली बार सुर्खियों में आए थे.

सबूत नंबर 9: राजनाथ सिंह
(2005-09)
(2013-14)

उत्तर प्रदेश के चंदौली जिला में राजनाथ सिंह का जन्म 10 जुलाई 1951 को एक सामान्य परिवार में हुआ था. उन्होंने गांव से ही अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और इसके बाद मिर्जापुर जिले के ड्रिग्री कॉलेज से भौतिक विज्ञान में MSc किया. इसी बीच उन्होंने BJP से जुड़कर कई अहम जिम्मेदारियां उठाई. दिन पर दिन राजनाथ का कद बढ़ता चला गया और भाजपा सरकार में उन्हें मंत्री बताया गया और वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने. पहली बार वर्ष 2005 में उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद दूसरी बार 2013 में राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला और केंद्र में 10 साल बाद भाजपा की वापसी हुई.

सबूत नंबर 10: अमित शाह
(2014-2020)

मुंबई के एक गुजराती परिवार में जन्म लेने वाले अमित शाह को भाजपा के चाणक्य के तौर पर जाना जाता है. उनकी जमीनी पकड़ को समझना है तो उनके करियर पर एक नजर जरूर डालना चाहिए. 1982 में उनके अपने कॉलेज के दिनों में शाह की मुलाकात नरेंद्र मोदी से हुई थी. वर्ष 1983 में अमित शाह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े. इसके बाद वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए. इस बीच उन्हें अहमदाबाद के नारणपुरा वार्ड में पोल एजेंट का दायित्व सैंपा गया. बाद मं इसी वार्ड के सचिव बना दिए गए. नारणापुरा विधानसभा सीट से अमित शाह लगातार 5 बार विधायक चुने गए और उन्होंने गुजरात के गृहमंत्री के रूप में काम किया. वर्ष 2014 में जब भाजपा ने सत्ता में वापसी की तो उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया. आज अमित शाह सरकार में प्रधानमंत्री के बाद सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं.

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सबूत नंबर 11: जगत प्रकाश नड्डा
(20-01-2020 से)

2 दिसंबर, साल 1960 को बिहार की राजधानी पटना में जन्में जगत प्रकाश नड्डा ने पटना से ही बीए और एलएलबी पढ़ाई की. शुरू से ही वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े रहे. 1993 में पहली बार वो हिमाचल प्रदेश से विधायक चुने गए. उन्होंने पहले राज्य और फिर केंद्र में मंत्री पद भी संभाला. नड्डा को राज्य और केंद्रीय संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है. जेपी नड्डा साल 1993 से 2002 तक हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे. वो साल 1998 से 2003 तक हिमाचल प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे. 2008 से 2010 तक धूमल सरकार में वन-पर्यावरण, विज्ञान व टेक्नालॉजी विभाग के मंत्री रहे. साल 2012 में वो राज्यसभा के सदस्य चुने गए. नड्डा ने मोदी सरकार-1 में 2014 से 2019 तक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का नेतृत्व किया. 17 जून, 2019 को नड्डा भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष चुने गए.

भारतीय जनता पार्टी के इन 11 अध्यक्ष का जमीनी नाता इस बात का सबूत है कि भाजपा ने हमेशा जमीन से जुड़े लोगों पर भरोसा जताया है. बीजेपी इस बात को बखूबी जानती है कि अगर जनता के दिलों पर राज करना है जो जनता के बीच के नेता पर ही भरोसा जताया जाना चाहिए. भाजपा की इसी नीति के चलते वो 2 सांसदों वाली पार्टी से 300 से अधिक सांसदों वाली पार्टी बन गई है.

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