ब्लैक फंगस बन गया महामारी? एक्सपर्ट से जानिए इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें

यह एक फंगल बीमारी है जो साइनस और आंख को इन्वॉल्व करते हुए होती है. जिस किसी को डायबिटीज है, और वह नियंत्रण में न रहता हो या वे पोस्ट कोविड से जूझ रहे हों.  ऐसे रोगियों को इस फंगल इंफेक्शन का असर हो सकता है.

Written by - Harsha Chandwani | Last Updated : May 20, 2021, 07:38 PM IST
  • कोरोना होने के बाद भी सावधानी रखें मरीज
  • कमजोर इम्यून सिस्टम से होता है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस बन गया महामारी? एक्सपर्ट से जानिए इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें

नई दिल्लीः Corona संकट के साथ देश इस वक्त Black Fungus से भी जूझ रहा है. पोस्ट कोविड के तौर पर लोगों को अपने शिकंजे में ले रहे ब्लैक फंगस से पीड़ित की आंखों की रोशनी जाने के साथ-साथ उसकी मौत भी हो सकती है.

आलम यह है कि दिल्ली से लेकर गुजरात के अहमदाबाद और मुंबई के अस्पतालों में बीते कुछ दिनों से एक दुर्लभ संक्रमण ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं.

बीमारी की है जटिल स्थिति
बीमारी की इस जटिल स्थिति को देखते हुए ZEE Hindustan ने Dr Chirag Chhatwani, MBBS, M.D. Medicine, FID Infectious Diseases Specialist से बातचीत की और उनसे इस रोग के बारे में जाना. Dr Chirag ने बताया कि ब्लैक फंगस से बचाव हो सकता है, अगर पीड़ित का सही समय पर जांच कर इलाज शुरू कर दिया जाए. 

इन मरीजों को है गंभीर समस्या
उन्होंने बताया कि यह एक फंगल बीमारी है जो साइनस और आंख को इन्वॉल्व करते हुए होती है. जिस किसी को डायबिटीज है, और वह नियंत्रण में न रहता हो. या वे पोस्ट कोविड से जूझ रहे हों. 
ऐसे रोगी जो डायलिसिस पर रहते हैं और जिनका लिवर डाउन होता है.

इसके अलावा कैंसर के मरीज, जिनकी कीमोथेरेपी चल रही हो. इसके अलावा HIV के मरीजों में भी खतरा होता है. अगर ये सारी बीमारियां नियंत्रण में हों तो म्यूकरमायोसिस से बच सकते हैं. 

यह है बीमारी के लक्षण
अगर आपको एक साइड में ही सिरदर्द हो, माथा दुख रहा हो, आंखों पर सूजन, नाक से पानी गिरे साथ ही बदबू भी आए. गर्म हवा छूटे या फिर ब्लड आने लगे तो ये सभी ब्लैक फंगस के लक्षण होते हैं. कई मामलों में मुंह में छाले भी देखे गए हैं. 

इसे डायग्नोसिस के लिए ENT की सलाह लेनी चाहिए. इसकी बायोप्सी के जरिए कन्फर्म पता चल सकता है कि पीड़ित ब्लैक फंगस का शिकार है. कोरोना वायरस से संक्रमित और ठीक होने वाले लोगों के लिए एक बड़ा ख़तरा बनकर उभरे इस फंगस ने लोगों के बीच एक डर पैदा कर दिया है. “ब्लैक फंगस या म्यूकॉरमाइकोसिस कोई नई बीमारी नहीं है. ये नाक, कान और गले ही नहीं, शरीर के अन्य अंगों को भी नुक़सान पहुंचाती है. 

दरअसल ये बीमारी इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होने की वजह से होती है. पहले हम ये बीमारी कीमोथेरेपी, अनियंत्रित डायबिटीज़, ट्रांसप्लांट मरीज़ों, और बुज़ुर्ग लोगों में देखते थे. लेकिन कोविड के बाद को-मॉर्बिडिटी और ज़्यादा स्टेरॉइड लेने वाले मरीजों में भी हो रही है. 

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यह है बचाव का तरीका
ब्लैक फंगस से बचने के लिये धूल वाली जगह पर मास्क पहनकर जाये. मिट्टी, काई के पास जाते समय जूते, ग्लब्स, फुल टीशर्ट और ट्राउजर पहने. डायबिटीज पर कंट्रोल, इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग या स्टेरॉयड का कम से कम इस्तेमाल कर इससे बचा जा सकता है. एंटीबायोटिक्स या एंटीफंगल दवा का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ही करना चाहिए.

इसलिए बना है परेशानी का कारण
कोरोना से उबरे लोग हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से भी फंगस की चपेट में आ सकते हैं. इसके अलावा स्किन पर चोट, रगड़ या फिर जले हुए भाग से भी यह शरीर में दाखिल हो सकता है. 

ब्लैक फंगल का इतिहास कोरोना से काफी पुराना है. पहले भी गंभीर डायबिटिक रोगियों में इसका संकट देखा गया है. इसलिए इसके इतिहास जैसी कोई बात नहीं है, कोरोना के दौरान स्टेरायड के प्रयोग से इसके लक्षण उभर रहे हैं इसलिए यह परेशानी की वजह बना हुआ है.

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