लखनऊ: उत्तरप्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर बड़ा एक्शन लिया है.
यूपी चुनाव में अब केवल 7-8 महीने का वक्त ही शेष और सभी पार्टियां आचार संहिता लगने से पहले अपनी तैयारी पुख्ता कर लेना चाहती हैं.
मायावती ने बगावत करने वाले नेताओं पर कार्रवाई करके अन्य सभी पार्टी नेताओं को कड़ी चेतावनी भी दे दी है कि अगर कोई पार्टी लाइन के खिलाफ काम करेगा तो उसे बख्शा नहीं जाएगा.
लालजी वर्मा और रामअचल राजभर बसपा से निष्कासित
बसपा अध्यक्ष मायावती के आदेश पर विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर को पार्टी से बाहर निकाला गया है. अब विधायक गुड्डू जमाली को विधानमंडल दल के नेता की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
पंचायत चुनाव में नहीं कि पार्टी की मदद- बसपा
बसपा ने प्रेस रिलीज में कहा कि जिन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है उन्होंने पंचायत चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को नुकसान पहुंचाया. विधायक और पूर्व अध्यक्ष राम अचल राजभर को भी पार्टी से निकाल दिया है और यह निर्देशित किया है कि इन्हें किसी भी पार्टी के कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाए.
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उल्लेखनीय है कि बसपा के कई विधायक भाजपा के संपर्क में बताए जा रहे हैं और कुछ सपा में भी जाने का जुगाड़ लगा रहे हैं. उत्तरप्रदेश में लगातार मायावती की ताकत कमजोर हुई है. अब भाजपा और सपा के आगे बसपा को लड़ाई में भी नहीं मानता.
मायावती ने अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का किया ऐलान
उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ऐलान किया था कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए बीएसपी किसी भी राजनीतिक दल के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी. राज्यसभा चुनाव के वक्त कई बसपा विधायक अखिलेश यादव से मिल गए थे और मायावती को तगड़ा झटका दिया था.
लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव से गठबंधन करके 10 सीटें जीतने वाली मायावती ने चुनाव बाद ही सपा से गठबंधन तोड़ दिया था. उन्होंने कहा था कि सपा के कारण बसपा को नुकसान हुआ अन्यथा बसपा और भी ज्यादा सीट जीतती. लोकसभा चुनाव में सपा को केवल 5 सीटें ही मिली थी.
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