नई दिल्ली. देश-विरोधी गतिविधियों में संलग्न लोगों की साजिश नाकाम रही. न टुकड़े-टुकड़े गैंग कामयाब हुआ न अफजल गुरु और न ही नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोधी. देश की संसद ने स्वीकृति दी है जिस क़ानून को और राष्ट्रपति की सम्मति मिली है जिस विधान को, वह नागरिकता संशोधन क़ानून आज से देश के क़ानून का हिस्सा बन कर लागू हो गया है.
केंद्र सरकार की अधिसूचना जारी हुई
पीएम मोदी के नेतृत्व में नागरिकता संशोधन क़ानून को तैयार करने और संसद में सफल कराने वाली सरकार ने इसके व्यवहारिक क्रियान्वयन की अंतिम औपचारिकता भी पूर्ण कर दी है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीएए अर्थात नागरिकता संशोधन कानून के प्रभावी होने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है.
सरकार ने फिर स्पष्ट किया सीएए का मंतव्य
आखिर वो मुबारक दिन आ ही गया जब तमाम बाधाओं को पार करते हुए इस क़ानून को पारित कराने के बाद आज पूर्व निश्चित तिथि 10 जनवरी 2020 से उसे प्रभावी कर दिया गया है. गृह मंत्रालय ने अपनी जारी की गई अधिसूचना में नागरिकता क़ानून के प्रभावी होने की घोषणा के साथ इसकी उपादेयता फिर एक बार स्पष्ट की है. अधिसूचना में बताया गया है कि इस कानून के अंतर्गत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये हुए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी.
देश में साजिशाना तौर पर किया गया विरोध
देश-हित में निर्मित इस बहु-प्रतीक्षित क़ानून का राष्ट्र-विरोधी तत्वों द्वारा ज़ोरदार विरोध किया गया. इन राष्ट्र-द्रोहियों ने षड्यंत्र करके कई स्तरों पर सीएए का विरोध करने का प्रयास किया. देश के मुस्लिमो को इस क़ानून की गलत जानकारी दे कर भड़काने की कोशिश की और यह कोशिश अभी तक जारी है. लेकिन, फर्क कुछ नहीं पड़ा, देश का क़ानून देश की जनता ने स्वीकार कर लिया है.
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