अपने पीछे तनाव छोड़ जा रहा कोरोना, दिल्ली में बढ़ गई अवसाद ग्रस्त मानसिक रोगियों की संख्या

लोगों के अवसाद की एक यह भी वजह है कि वह अपने प्रियजनों के अंतिम संस्कार जरूरी धार्मिक गतिविधियों से नहीं कर पाए और यह उनके मन पर ठेस की तरह है. ऐसे में कई लोग गंभीर मानसिक स्वास्थ्य विकारों की चपेट में आ रहे हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 27, 2021, 07:24 PM IST
  • उदासी, अलगाव, अपनों को खोने के डर का शोक लोगों में तनाव बढ़ा रहा
  • दुख न सह पाने के कारण दर्द न बांट पाने के कारण बढ़े अवसाद ग्रस्त लोग
अपने पीछे तनाव छोड़ जा रहा कोरोना, दिल्ली में बढ़ गई अवसाद ग्रस्त मानसिक रोगियों की संख्या

नई दिल्लीः कोरोना के इस दौर ने लोगों को जो दर्द दिए हैं वो तो हैं हीं, लेकिन और भी कई कारणों से लोगों की दिलों पर गहरी चोट लगी है. वायरस के प्रसार को कंट्रोल करने के लिए लोगों की दैनिक गतिविधियों पर रोक लगाई गई तो ऐसे भी कई मौके आए जहां, लोग अपनों का दुख बांटने के लिए उनके साथ मौजूद नहीं थे. 

ऐसे में अकेले दुख न सह पाने के कारण और किसी से अपना दर्द न बांट पाने के कारण अवसाद ग्रस्त लोगों की संख्या भी काफी बढ़ी है. खासकर दिल्ली में ऐसे लोगों में अवसाद, चिंता, अनिद्रा और अन्य मानसिक स्वास्थ्य विकारों के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. 

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मानसिक रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी
विशेषज्ञों ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के कई अस्पतालों और क्लीनिकों में आघात के बाद के तनाव से उत्पन्न होने वाली मानसिक बीमारियों से संबंधित लक्षणों की शिकायत करने वाले रोगियों की संख्या में वृद्धि दर्ज की जा रही है. दिल्ली महामारी की भयंकर दूसरी लहर की चपेट में आ गई थी, जिसमें विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी होने के कारण प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोगों की जान जा रही थी, इससे संकट और बढ़ गया था.

अंतिम संस्कार न कर पाने के मलाल से तनाव
अस्पताल परिसर और श्मशान घाटों पर मातम ही मातम पसरा हुआ था. दिल्ली में चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा कि सुरक्षा संबंधी प्रतिबंधों और सामाजिक दूरियों के मानदंडों के कारण लोग अपने प्रियजनों को कोविड के कारण खोने के बाद परिवार के साथ शोक भी नहीं मना पाते.

उन्होंने कहा कि दूसरी लहर में, कई मामलों में ऐसा देखा गया कि पूरा परिवार कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है और उसमें से किसी की मृत्यु के बाद वे उनका अंतिम संस्कार नहीं कर सके. 

डॉक्टर भी मानते हैं इसे गंभीर कारण
लोगों के अवसाद की एक यह भी वजह है कि वह अपने प्रियजनों के अंतिम संस्कार जरूरी धार्मिक गतिविधियों से नहीं कर पाए और यह उनके मन पर ठेस की तरह है. ऐसे में कई लोग गंभीर मानसिक स्वास्थ्य विकारों की चपेट में आ रहे हैं. तनाव के प्रति जागरूकता दिवस पर डॉक्टरों ने रविवार को कहा कि कई मामलों में लोगों ने अपने दोस्तों, परिचितों या किसी ऐसे व्यक्ति को खो दिया, जिसे वे करीब से जानते थे, या वे बड़ी कठिनाई से बच गए, इसे लेकर उनका मानसिक तनाव बढ़ गया.

दिलो-दिमाग पर पड़ा रहा गंभीर असर
बीएलके अस्पताल में मनोचिकित्सा विभाग के डॉक्टर मनीष जैन ने कहा, उदासी, अलगाव, अपनों को खोने के डर का शोक, आय में कमी और समाजीकरण में कमी मानसिक स्वास्थ्य विकार को बढ़ा रही हैं. मामलों में वृद्धि के बाद से ओपीडी में मरीजों की संख्या में 30-40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

उन्होंने कहा कि जीवन शैली में प्रतिबंध और कोविड​​​​-19 के डर ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भारी असर डालना शुरू कर दिया है.

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, साकेत के मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान विभाग के निदेशक और प्रमुख समीर मल्होत्रा ने कहा, “कोविड-19 महामारी के दौरान आबादी में देखी गई चिंता और अवसाद के मामलों में निश्चित रूप से वृद्धि हुई है.”

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