Covid-19: सुनने से लेकर देखने तक की क्षमता को प्रभावित कर सकता है कोरोना का नया स्ट्रेन

अगर आपकी सुनने की शक्ति और खासकर लेफ्ट राइट में कंजंक्टिवाइटिस होती है तो ये नए वायरस के लक्षण हो सकते हैं.

Written by - Sumit Kumar | Last Updated : Apr 15, 2021, 02:43 PM IST
  • बच्चों को सबसे अधिक प्रभावित कर रहा नया स्ट्रेन
  • नए स्ट्रेन से सामने आ रहे बुखार, खांसी और डायरिया जैसे लक्षण
Covid-19: सुनने से लेकर देखने तक की क्षमता को प्रभावित कर सकता है कोरोना का नया स्ट्रेन

नई दिल्ली: कोरोना हर दिन कहर बरपा रहा है. देशभर में पिछले 24 घंटे में कोराना के मामले दो लाख पार कर चुके हैं. इस बार का कोरोना का नया स्‍ट्रेन इतना घातक है कि यह लोगों के सुनने और देखने की क्षमता को खत्म कर सकता है.

इतना ही नहीं ये स्ट्रेन अधिक उम्र के लोगों के साथ ही बड़ी संख्या में बच्चों और युवाओं को भी संक्रमित कर रहा हैं. ऐसे में बच्चों की खास देखभाल करने की जरूरत है.

बच्चों में बुखार, खांसी, डायरिया जैसी शिकायत होने पर इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें. आइए जानते हैं कि बच्चों व युवा में कोरोना के स्ट्रेन पर डॉक्टर क्या कहते हैं.

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया और कंफेडरेशन ऑफ मेडिकल एसोएिशन ऑफ एश‍िया के प्रेसिडेंट डॉ के के अग्रवाल से जी हिन्दुस्तान ने कोरोना के नए स्‍ट्रेन पर विस्तार से बात की.

कोरोना के नए स्‍ट्रेन के बारे में डॉ अग्रवाल ने कई चौंकाने वाली जानकारी दी. जी हिन्दुस्तान ने डॉ के के अग्रवाल से पूछा कि क्या आखों से कोरोना का संक्रमण हो सकता है? क्या कोरोना का नया स्‍ट्रेन आंखें खराब कर रहा है और सुनने की शक्ति भी कम हो कम रही है? इस सवाल के जवाब में जानिए डॉ के के अग्रवाल ने क्या कहा...

डॉ के के अग्रवाल ने बताया कि 'कोरोना वायरस हमारे शरीर में मुंह से जा सकता है, नाक से जा सकता है या आंख से जा सकता है. नया वायरस जो भारत में फैल रहा है वो म्युटेंट वायरस है.

वो फेफड़ों के अलावा सिस्टमिक इन्फ्लामेशन भी कर रहा है यानी कि आंखों में, कान के अंदर, पेट में डायरिया, लिवर एंजाइम्स को हाई ग्रेड फीवर और हाई सीआरपी कर सकता है.

अगर आपको ट्रांजिटरी कान में सुनने की शक्ति कम हो जाती है या डीनाइटस होता है और खासकर लेफ्ट राइट में कंजंक्टिवाइटिस होती है तो ये नए वायरस के लक्षण हो सकते हैं.'

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12 साल से अधिक आयु के बच्चों के लिए घातक है ये वायरस

डॉ के के अग्रवाल ने बताया कि 'कोरोना का नया बच्चों को सबसे अधिक प्रभावित कर रहा है. जब भी वायरस म्युटेट करेगा, तो वह उस पॉपुलेशन की तरफ जाएगा जहां अभी बीमारी नहीं फैली है या जहां अभी वैक्सीनेशन नहीं हो रहा है.

इस वायरस की चपेट में आने से बच्चों की तबियत ज्यादा खराब हो रही है. लेकिन अभी भी 12 साल से कम आयु के बच्चों के लिए यह बीमारी बिलकुल घातक नहीं है और 12 साल से अधिक आयु के बच्चों में इस संक्रमण का वही पैटर्न देखने को मिल रहा है, जो कि 12 से 40 साल की आयु के सभी व्यक्तियों में है. 

टीका लगने बाद डिजीज इनहांसमेंट का खतरा

डॉ के के अग्रवाल ने यह भी बताया कि 'आज की तारीख में जो भारत में टीका लग रहा है. टीका लगने के बाद डिजीज इनहांसमेंट की आशंका बनी रहेगी यानी टीका लगने के कारण अगर आपको वायरस इनफेक्ट करता है, तो उसको हम डेंगू की तरह डिजीज इनहांसमेंट बोलते हैं'.

5 लाख तक भी जा सकते है मामले

डॉ के के अग्रवाल ने बताया कि ' अब हम कोरोना के दो लाख केस प्रतिदिन तक पहुंच चुके हैं. जल्द ही हम ढाई लाख का आंकड़ा छू लेंगे और अगर यह दूसरी लहर डेढ़ से 2 महीने तक चलती है, तो हम 3 से 4 लाख के बीच के आंकड़े तक पहुंच जाएंगे और अगर ये पहले की तरह ढाई महीने चलती है तो हम 5 लाख के आंकड़े तक पहुंच जाएंगे.  

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