बड़ा सवाल: Corona की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए कितना तैयार है देश?

Dr Ajay Gambhir ने कहा कि विशेषज्ञों ने तीसरी लहर को अभी से विश्लेषण करना शुरू कर दिया है, ताकि सही समय पर बचाव हो सके. दूसरी लहर की तरह आपाधापी वाली स्थिति न रहे. जो भी प्लानिंग में और प्रशासनिक कमियां रहीं हमें उन्हें समय रहते दूर कर लेना है.

Written by - Harsha Chandwani | Last Updated : May 13, 2021, 07:21 AM IST
  • बच्चों के लिए नहीं है कोई अलग दवा, अन्य रोगियों की तरह ही हो सकेगा उपचार
  • भारत में बच्चों पर रेमेडिसिवर के ट्रायल की अनुमति नहीं, भविष्य में मिल सकती है
बड़ा सवाल: Corona की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए कितना तैयार है देश?

नई दिल्लीः Corona के कारण देश में विकट स्थिति है. जहां अभी एक तरफ दूसरी लहर से ही चीख-पुकार मची हुई तो वहीं तीसरी लहर की आहट ने अभी से लोगों के दिल की धड़कन बढ़ा रखी है. इसमें भी चिंता इस बात की है कि यह तीसरी लहर बच्चों को बड़ी संख्या में चपेट लेगी. 

ZEE Hindustan ने एक्सपर्ट से पूछे सवाल
पहली लहर में जहां बुजुर्ग अधिक प्रभावित हुए थे वहीं दूसरी लहर में युवा वर्ग भी बड़ी संख्या में संक्रमित हुआ है. बल्कि इस बार मौतों का आंकड़ा भी कई गुना बढ़ गया है. ऐसे में बात बच्चों की सेहत और सुरक्षा की हो तो सवाल उठना लाजिमी है. 
हर तरफ से आने वाली चिंताओं को ZEE Hindustan ने सवालों के रूप में बदला और Dr Ajay Gambhir (MD MD Paed & public health expert, Chairmen-Vaccine india.org  Sec Delhi Med Association) से बात की.

उन्होंने इस बार में खुल कर बात की और सबसे पहले तो यही कहा कि लहर दूसरी-तीसरी कोई भी हो, लोग सतर्क रहें. 

प्लानिंग की कमियां समय रहते दूर करना जरूरी
Dr Ajay Gambhir ने कहा कि विशेषज्ञों ने तीसरी लहर को अभी से विश्लेषण करना शुरू कर दिया है, ताकि सही समय पर बचाव हो सके. दूसरी लहर की तरह आपाधापी वाली स्थिति न रहे. जो भी प्लानिंग में और प्रशासनिक कमियां रहीं हमें उन्हें समय रहते दूर कर लेना है. सीरो सर्वे और टेस्टिंग तो बढ़ानी ही होगी और जीनोटाइप्स देखने होंगे.

इसकी तैयारी के लिए जरूरी है कि हम डेटा एक्सपर्ट की मदद लें और प्रोफेशनल बॉडी से डेटा शेयर करना होगा. यह हम अभी नहीं कर पाए थे. लेकिन अगर अब से इसे शुरू कर दिया जाए तो तीसरी लहर आएगी या नहीं आएगी इसका ठीक-ठीक पता चल जाएगा. 

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12 साल के बच्चों पर कारगर होगी वैक्सीन
अगर बच्चों की बात करें तो इसमें 18 साल की उम्र के बच्चे आएंगे, लेकिन बचाव के लिहाज से 24 साल तक लोगों को बच्चों में शामिल करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्यों कि इन्हें वैक्सीन नहीं मिली है.

12 साल से 18 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन जरूर कारगर होगी. अगर समय से उनका वैक्सीनेशन हो जाता है तो तीसरी लहर कि चिंता काफी हद तक कम हो जाएगी. 

कैसा होगा असर? वायरस के वैरियंट पर होगा निर्भर
USA में जब Corona वेव आई तो वहां तकरीबन 25 प्रतिशत बच्चे भी प्रभावित हुए. यही स्थिति भारत की भी रह सकती है. इसमें भी किशोर अवस्था और युवा होने की ओर बढ़ते बच्चे (18 से 24 साल) दोनों ही शामिल होंगें.

बाकी अन्य लोग हल्के संक्रमण से प्रभावित हो सकते हैं. यह वायरस के वैरियेंट पर भी निर्भर करेगा. कई वैरियेंट हल्के होते हैं तो कई बड़ा असर डालने वाल भी होते हैं. 

इस तरह की है तैयारी 
दिल्ली या केंद्र सरकार के अस्पताल इसके लिए तैयार हैं. कोविड केयर सेंटर में माइल्ड टाइप केस रखे जाते हैं. बात बच्चों की होगी तो पैरेंट्स भी वहां रह सकेंगे. इसके अलावा डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर हैं. यहां ऑक्सीजन आदि की सुविधा है, इसे और अपग्रेड किए जाने की तैयारी है. इसके अलावा तीसरे हैं डेडिकेटेड कोविड अस्पताल, जो अति संक्रमित गंभीर केस के लिए होंगे. देश में तीसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की किल्लत नहीं देखने को मिलेगी. 

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बच्चों की अलग से दवा नहीं
एक बात जो सबसे जरूरी है वह यह कि बच्चों के लिए कोई दवाई अलग नहीं होती है. बच्चों के लिए भी जिंक, विटामिन सी, अजिथ्रोमाइसिन, एंटीबायोटिक यही दवाइयां चलेंगीं. इसके अलावा जरूरत पड़ने पर बच्चों को स्टेरायड भी देनी पड़ सकती है. क्योंकि बच्चों के फेफड़े आकार में छोटे होते हैं. 

रेमेडिसिवर प्रयोग की जाएगी?
एक बड़ा सवाल लोग ये भी कर रहे हैं कि क्या बच्चों को रेमेडिसिवर देने की जरूरत पड़ सकती है? क्या इसकी अनुमति है? डॉ अजय बताते हैं कि ट्रायल्स में यह ड्रग बच्चों के लिए मान्य नहीं किया गया है, लेकिन यूरोपियन देशों ने कुछ मामलों में बच्चों के लिए इसे इस्तेमाल किया है.

अब ये ड्रग कुछ देश 12 साल के बच्चों से ही दे रहे हैं. कुछ देशों ने 5 साल के बच्चों से 12 साल के बच्चों पर भी इसका प्रयोग किया है. उन देशों के मुताबिक यह बच्चों के लिए भी प्रभावी है, हालांकि हमारे यहां मैं फिर दोहराऊंगा कि ट्रायल्स में अलाऊ नहीं है. 

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बाल रोग विशेषज्ञों की है कमी 
एक बड़ी कमी है कि देश में बहुत अधिक बाल रोग विशेषज्ञ नहीं हैं. बड़े बच्चों का इलाज तो खैर फिजिशियन और डिप्लोमा होल्डर्स भी कर सकते हैं, लेकिन पांच या इससे कम उम्र के बच्चों के लिए तो बाल रोग विशेषज्ञ की जरूरत ही पड़ेगी. दुर्भाग्य से इनकी संख्या कम है.जरूरी है कि जिनको अभी वैक्सीन लग जा रही है वे लगवा ही लें, संक्रमण का कैरियर न बने. सकारात्मक सोचें. 

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बच्चों के लिए वैक्सीन पर होगा ट्रायल 
बच्चों के लिए वैक्सीन पर ट्रायल दिल्ली और पटना के एम्स के साथ नागपुर के मेडिट्रिना मेडिकल साइंस इंस्टीट्यूट में किया जाएगा. मंगलवार को भारत बायोटेक की ओर से दिए गए एप्लिकेशन पर चर्चा हुई और एक्सपर्ट पैनल ने दूसरे और तीसरे स्तर के ट्रायल की सिफारिश की है.

बताया जा रहा है कि बच्चों पर भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का ट्रायल शुरू हो सकता है. ये क्लीनिकल ट्रायल 525 बच्चों पर देश के अलग-अलग अस्पतालों में होगा

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था सवाल
तीसरी लहर में बच्चों पर सबसे ज़्यादा ख़तरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल किए थे. बच्चों का किस तरह से इलाज होगा, उनके परिजन उनके साथ होंगे नहीं. उन्हें कैसे संभाला जाएगा, बच्चों के लिए क्या पर्याप्त व्यवस्था है.

इसी के मद्देनज़र कई राज्यों में बच्चों के लिए अलग अस्पताल बनाने से लेकर बच्चो के लिए स्पेशल कोविड केयर सेंटर्स बनाने पर काम शुरू कर दिया है.

इनपुट-हर्षा चांदवानी, संपादन- विकास पोरवाल

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