नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन का हवाला देकर दंगाईयों ने दिल्ली को दहलाने की साजिश रची है. परत-दर-परत एक-एक सच्चाई सामने आ रही है. लेकिन दंगाईयों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. कहीं बसें फूंकी जा रही हैं, कहीं आगजनी और हिंसा का नंगा नाच किया जा रहा है. लेकिन ये समझ नहीं आ रहा है कि आखिरकार ये दंगाई क्या चाहते हैं और इनपर कार्रवाई कब करेगी सरकार?
दंगाईयों के आतंक पर कब होगा प्रहार?
जगह-जगह पर बवाल, तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा जैसी वारदात को अंजाम दिया जा रहा है. दुर्गापुरी चौक पर दो लड़को ने जूस की दुकान पर तोड़फोड़ की, तोड़फोड़ करने के बाद दुकान में आग लगने ही वाले थे कि लोगों ने एक युवक को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया. सवाल यही है कि आखिर इन दंगाईयों पर फाइनल प्रहार कब होगा?
इन दंगाईयों का आतंक बेकाबू होता जा रहा है, दिल्ली पुलिस के जवान रतनलाल की शहादत इस बात का सबसे बड़ा सबूत है. एक के बाद एक लोगों के मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. ये आग बिल्कुल वैसी ही है, जो नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शुरुआती विरोध के नाम पर दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, मऊ जैसे कई जिलों में आग फैलाई गई थी. दिल्ली में दंगाई कुछ वैसी ही तस्वीरों की याद दिला रहे हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि आखिरकार दिल्ली में इतना कुछ हो गया और इनपर कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है.
दंगाईयों पर क्यों नहीं हो रही है कार्रवाई?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दो दिवसीय दौरे के मद्देनजर दिल्ली में सरकार किसी प्रकार का बखेड़ा नहीं चाहती थी. लेकिन दंगाईयों ने इसका फायदा उठाने की कोशिश करते हुए राजधानी को जलाने की साजिश की. ट्रंप का दिल्ली दौरा विरोधियों की आंख में कांटे की तरह चुभ रहा था. ट्रंप के दिल्ली पहुंचने से पहले ही दिल्ली पुलिस पर गोली चलाकर दिल्ली में मौजूद दंगाईयों ने इस बात के सबूत भी पेश कर दिए. लेकिन अब उनकी खैर नहीं है.
सरकार ने कर ली है निपटने की तैयारी?
हालात की गंभीरता को देखते हुए, कई इलाकों में RAF को तैनात कर दिया गया है. जबकि 13 अर्धसैनिक बलों की कंपनियों को दिल्ली पुलिस की मदद के लिए तैनात किया गया है. इनमें दो कंपनियां रैपिड एक्शन फोर्स, एक सीआरपीएफ महिला कंपनी शामिल है. यानी दंगाईयों की एक भी गुस्ताखी उन्हें भारी परिणाम भुगतने पर मजबूर कर देगा.
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आपको बता दें, सोमवार को दिल्ली के गोकुलपुरी इलाके में भड़की हिंसा ने फिर दिल्ली को शर्मसार किया है. जिस पुलिस को भीड़ की सुरक्षा के लिए लगाया गया था. वहीं पुलिस भीड़ के निशाने पर आ गई. गोकुलपुरी के एसीपी दफ्तर में तैनात हेड कांस्टेबल रतनलाल घटनास्थल पर पुलिस टीम के साथ भीड़ को नियंत्रित करने में लगे थे. पत्थरबाजी में इस कदर घायल हुए कि ज़िंदगी पीछे छूट गई. लेकिन सबसे बड़ी बात ये कि डॉक्टर ने उनके सीने से गोली निकाली. दंगाईयों पर कार्रवाई की घड़ी आ गई है, बैठकों का दौर लगातार जारी है. लेकिन अब भी हर कोई इस इंतजार में है कि इन दंगाईयों पर कार्रवाई आखिर कब होगी?
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